अयोध्या-भूमि पूजन से पहले गर्भगृह की जमीन रामलला के नाम हुई  ट्रांसफर,राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को मिले कागज

अयोध्या-भूमि पूजन से पहले गर्भगृह की जमीन रामलला के नाम हुई ट्रांसफर,राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को मिले कागज

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

पांच अगस्त का अयोध्या में श्री राम मंदिर भूमि पूजन से पहलेरामजन्मभूमि की जमीन अब विराजमान रामलला के नाम हो गई है। नजूल के रिकॉर्ड में इसे दाखिल-खारिज कर दिया गया। है। इस नामान्तरण की नकल शनिवार को जिलाधिकारी अनुज कुमार झा की ओर से रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को सौंप दी गई।
रामजन्मभूमि के कानूनी विवाद में जिस स्थान पर मेकशिफ्ट स्ट्रक्चर (तिरपाल में विराजमान रामलला) था, उसे विवादित क्षेत्र माना गया था। भू अभिलेखों में यह गाटा संख्या 583 के रूप में दर्ज था। इसका कुल क्षेत्रफल नौ बिस्वा,15 बिस्वांसी और चार कछवांसी था। इसी विवादित गाटे पर 30 सितम्बर 2010 को पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामलला के दावे को स्वीकार उनकी डिग्री अवार्ड की थी। फिर भी उसमें बंटवारा करके एक भाग निर्मोही अखाड़ा व दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया। हाईकोर्ट के इसी बंटवारे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में रामलला की ओर से चुनौती दी गईथी। नौ नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले के अंतिम निपटारे के बाद प्रमुख सचिव गृह की ओर से रामलला के नामान्तरण का आदेश दिया गया था। अयोध्या के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गोरेलाल शुक्ल ने बताया कि आदेश के क्रम में नजूल अभिलेख में नामान्तरण कर दिया गया है।

क्या था विवाद
मो. इस्माइल फारुखी बनाम यूनियन आफ इंडिया के केस में सात जनवरी 1993 को लागू लैण्ड एक्यूजीशन एक्ट आफ सर्टेन एरिया आफ अयोध्या को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। जस्टिस वेंकट चेलैया की अध्यक्षता में गठित पांच जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एक मात्र गाटा संख्या 583 को विवादित माना था। इसके साथ शेष भूमि को अविवादित मानते हुए अधिग्रहण को वैध ठहराया था। यह भी निर्देश दिया था कि आवश्यकता से अधिक भूमि उसके भू स्वामी को वापस लौटा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने विवादित परिसर के गाटा संख्या 583 को छोड़कर शेष अन्य 22 गाटा जो कि सदर तहसील के अन्तर्गत अभिलेखों में दर्ज है, पर अपने दावे को वापस ले लिया था।