चंदौली-थर्मल स्कैनर एवं पाल्स बीट  मशीन के घोटाले के मामले की लीपापोती को लेकर धरने पर बैठे जनपद के पूर्व विधायक, यहां के अफसरों को बताया भ्रष्ट, कहा नहीं छोड़ते एक भी  भ्रष्टाचार का मौका

थर्मल स्कैनर एवं पाल्स बीट मशीन के घोटाले के मामले की लीपापोती को लेकर धरने पर बैठे जनपद के पूर्व विधायक, यहां के अफसरों को बताया भ्रष्ट, कहा नहीं छोड़ते एक भी भ्रष्टाचार का मौका

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चन्दौली-थर्मल स्कैनर एवं पाल्स बीट मशीन के घोटाले के मामले की लीपापोती किये जाने से नाराज होकर समाजवादी पार्टी के नेता व सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह 'डब्लू' ने बुधवार को बरहनी ब्लाक मुख्यालय पर धरने पर बैठ गए. उन्होंने कहा कि कोरोना के इस दौर में भी लोग आपदा को अवसर बनाने के सुनहरे मौके से चुकने वाले नहीं हैं. यहां के भ्रष्ट अफसर भ्रष्टाचार करने का एक भी मौका गंवाना नहीं चाहते हैं. Covid-19 की जाँच के लिए खरीदे जाने वाले उपकरण हों या बांटे जाने वाले मास्क अथवा फिर अन्य प्रकार की सामग्री सभी में घोटालेबाजों की नजर गड़ी हुई है. जहाँ जैसा मौका मिला घोटालेबाज अपना हाथ जरूर साफ कर लेते हैं. ताजा मामला थर्मल स्कैनिंग वाले थर्मामीटर से जुड़ा हुआ है, जिसे कमीशन के चक्कर में खरीद तो लिया गया पर रकम के बंटवारें में बिलम्ब व हेराफेरी हुई तो मुखबिरी होते ही मामल उजागर हो गई और जांच शुरू हो गयी.इस मामले में सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह'डब्लू' ने बुधवार को बरहनी ब्लॉक पर धरने बैठ गए. प्रधानों को भेजी गई थर्मल स्कैनिंग मशीन व ऑक्सीमीटर मशीन को चोरी का बताते हुए संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की माँग की. उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रदेश के मुखिया से लेकर अधिकारी तक कमीशन खोरी में सम्मिलित हैं और यहमशीन चोरी का होने के कारण अब ऊँचे दाम में ग्राम प्रधानों को बिना बिल बाउचर की दी जा रही है. इस जांच को लेकर सैयदराजा के पूर्व सपा विधायक मनोज सिंह डब्लू धरने पर बैठे. वे उच्चाधिकारियों से इस मामले की जांच करने की मांग पर अड़े हुए हैं

मौके पर पहुंची सैयदराजा पुलिस द्वारा मान मनोबल करने के बाद भी विधायक ने अपने धरने से उठने से इंकार कर दिया और एडीओ पंचायत को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े रहे तथा उन्होंने इस मामले का खुलासा करने की बात कही.

ज्ञातव्य हो कि जनपद में जिला पंचायत विभाग द्वारा थर्मल स्कैनिंग के नाम पर खरीदे जाने वाले स्कैनर में कमीशनबाजी और घटिया माल सप्लाई का मामला विभाग के ही वरिष्ठ अधिकारियों ने पकड़ लिया है. इस घोटाले के प्रारंभिक जाँच के बाद जब इसकी खोजबीन शुरू की तो घोटाले की बूं आते ही मामला गरम हो गया.

मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय समिति बनाकर 10 दिन के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दे दिया. जनपद के मुखिया ने तीन सदस्य टीम में उसी अधिकारी को मुखिया बना दिया गया जिसके विभाग में यह घालमेल हुआ है.

बताया जा रहा है कि पंचायती राज विभाग के द्वारा दो तरह के जांच यंत्र खरीदे गए हैं, जिसमें 1598 थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सीमीटर हैं. इन सभी को जिले की 734 ग्राम सभाओं और65 नगर निकायों के वार्डों में भेजा जाना था. इन यंत्रों के खरीद-फरोख्त में फिलहाल प्रथम दृष्टया जो खामी पाई गई है वह यह है कि निर्धारित मूल्य से कहीं ज्यादा दाम पर खरीदे गये हैं.

अब पंचायती राज विभाग के उप निदेशक स्तर के अधिकारी के पत्र मिलने के बाद पंचायती राज विभाग के आला मुखिया को इसकी जांच करने का आदेश दिया गया है, जो पंचायतों और नगर निकायों में बेहतर सेवा और सुविधाएं देने के लिए जवाबदेह हैं.