भारत तिब्बत सहयोग मंच ने कुचामन में मनाई तुलसी जयंती

पत्नी के तंज ने रामबोला को बना दिया गोस्वामी तुलसीदास

भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ताओं ने सागरमल बानूड़ा आदर्श बाल मंदिर में गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर सर्वप्रथम तुलसीदास जी की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर नमन किया। इस अवसर पर भारत तिब्बत सहयोग मंच के जिलाध्यक्ष श्याम सुंदर सैनी ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म आज ही के दिन श्रावण मास शुक्ल पक्ष सप्तमी संवत 1554 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के छोटे से गांव राजापुर में पिता आत्माराम दुबे और मां हुलसी के घर पर हुआ, जन्म के समय वो रोए नहीं थे उनके मुंह से राम शब्द निकला तथा जन्म के समय ही उनके मुंह में पूरे 32 दांत थे। उनका जन्म का नाम रामबोला था। उनका बालपन अभाव से भरा हुआ बीता। जन्म के कुछ समय पश्चात ही उनकी मां का देहांत हो गया पिता ने उन्हें अशुभ मानकर अपनाने से इंकार कर दिया। उनका लालन-पालन व प्रारंभिक शिक्षा अयोध्या गुरुकुल में हुई, उसके बाद वेद-वेदांग का अध्ययन करने के लिए काशी चले गए। परम राम भक्त तुलसीदास ने कुल 12 ग्रंथों की रचना की, लेकिन सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित रामचरितमानस को मिली । यह ग्रंथ हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है, इस महान ग्रंथ की रचना ने उन्हें जन-जन का कवि बना दिया ।

भारत तिब्बत सहयोग मंच की जिला उपाध्यक्ष (महिला विभाग) बरखा रानी जैन ने बताया कि तुलसीदास जी का विवाह रत्नावती से हुआ, वह अपनी पत्नी से बेहद प्रेम करते थे, वह अपनी पत्नी पर अत्यंत मुग्ध थे। शादी के बाद प्रथम बार उनकी पत्नी मायके गई थी तो यह भी पिछे-पिछे बिना बताए ही मिलने के लिए पहुंच गए, इस पर उनकी पत्नी को क्रोध आया और उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जितना प्रेम आप इस हाड- मास के पुतले से करते हो, यदि इतना प्रेम प्रभु राम से किया होता तो यह भवसागर पार हो गए होते। उन्हें यह बात चुभ गई और उन्होंने ग्रस्त जीवन त्याग दिया, और एक सिदा-सादा रामबोला महाकवि गोस्वामी तुलसीदास बन गया।

शाला के प्रधानाचार्य डॉक्टर जयन्त कुमार ने परम रामभक्त गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं की संक्षिप्त जानकारी दी व उपस्थित सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर भारत तिब्बत सहयोग मंच के जिलाध्यक्ष सैनी, जिला उपाध्यक्षा जैन,मंच के कार्य कर्ता मनीष मोर, प्रधानाचार्य डा. जयन्त, चैनसुख सौलंकी, राजकीय विधालय के प्रधानाचार्य गिरधारी लाल गुर्जर, अध्यापिका जमना कुमावत, सरोज शर्मा, तारामणि पारीक व हनुमान आदि उपस्थित थे।