राजस्थान के निकाय संस्थाओं पर भी अब सरकार का कब्जा

129 संस्थाओं के चुनाव 31 अक्टूबर तक टले। 24 अगस्त से नियुक्त होंगे प्रशासक।
जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव भी नहीं हो सके
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कोरोना काल में राजस्थान में भले ही जमकर राजनीति हो रही हो, लेकिन कोरोना संक्रमण की आड़ लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार लगातार छोटे स्तर के चुनावों से बच रही है। प्रदेश के नगर निगमों और 129 पालिकाओं व परिषदों के चुनाव स्थगित किए जाने को लेकर राज्यसरकार ने हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उस पर 22 जुलाई को फैसला आ गया है। सरकार की प्रार्थना थी कि कोरोना की भीषण स्थिति को देखते हुए 31 दिसम्बर तक निकाय संस्थाओं के चुनाव टाल दिए जाए। लेकिन कोर्ट ने निकाय चुनाव को आगामी 31 अक्टूबर तक स्थगित किया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब 24 अगस्त से प्रदेशभर के स्थानीय निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति हो जाएगी। यानि इन संस्थाओं पर कांग्रेस सरकार का ही कब्जा �होगा। मालूम हो कि तय कार्यक्रम के अनुसार निकाय चुनाव 15 अगस्त तक होने थे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव भी 31 अक्टूबर तक टाले जा चुके हैं। चुनाव नहीं होने की वजह से ही जिला परिषद और पंचायत समितियों में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। एक तरह से ग्रामीण विकास की इन संस्थाओं पर भी सरकार का कब्जा है। 22 जुलाई के निर्णय से राजनीतिक दलों के उन कार्यकर्ताओं को धक्का लगा है, जो पार्षद बनने की लालच में कोरोना काल में जरुरतमंद लोगों की सेवा कर रहे थे। मौजूदा पार्षद भी इसी भावना से सेवा का काम कर रहे थे। लेकिन अब अगस्त माह में वार्ड पार्षद के चुनाव नहीं हो रहे हैं। देखना होगा कि पार्षद बनने के इच्छुक कार्यकर्ता सेवा की भावना को अक्टूबर तक कैसे बनाए रखते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि पार्षद बनने की ललक की वजह से जरुरतमंद लोगों को कोरोना काल में बहुत मदद मिली।