राजनेताओं के जाल में आखिर फंस ही गई गुड़िया और शिकार हो गए पुलिस कर्मी

अमेठी: अमेठी से चलकर लखनऊ पहुंची अमेठी जिले के जामो थाना क्षेत्र की गुड़िया और उसकी मां राजनेताओं की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर आखिर फंस ही गई और बहकावे में आकर मनमाफिक न्याय पाने की पक्की सलाह पर आत्मदाह कर लिया।

घर के पानी निकासी को लेकर मामूली विवाद में विपक्षी अर्जुन गुप्ता से मारपीट हुई लेकिन मुकदमा छेड़खानी का लिखवाया गया। चोटों के आधार पर विपक्षी अर्जुन ने भी मां बेटी पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया जिससे घबरा कर साफिया व गुड़िया ने गांव में पंचायत जुटाई और पंचायत ने किसी तरह से दोनों पक्षों में सुलह करा दिया। पंचायत में तय हुआ कि प्रधान की ओर से गलियारे के बीच नाली निर्माण कराकर उसके ऊपर पटिया रखवा कर अगल बगल इंटरलॉकिंग लगवा दिया जाएगा जिससे जल निकासी व आवागमन बाधित नहीं होगा। दोनों लोगों एक दूसरे के मुकदमे को समाप्त करने के लिए शपथपत्र दे देंगें। दोनों लोगों ने शपथ पत्र दे भी दिया। अर्जुन ने शपथ पत्र के समर्थन में विवेचक को अपना बयान भी दे दिया।इसकी जानकारी जब गुड़िया को हुई तो उसे लगा कि उसकी फंसी गोट निकल चुकी है तो कुछ राजनेताओं ने गुड़िया को उकसाकर एसपी अमेठी, डीआईजी अयोध्या व अन्य अधिकारियों को प्रार्थनापत्र भी देना शुरू कर दिया लेकिन यहां सवाल उठता है कि जब सब कुछ गुड़िया और उसकी मां के हिसाब से ही पंचायत में तय हुआ और सुलहनामा हुआ तो आत्मदाह जैसा घातक कदम आखिर क्यों उठाया गया।

मामले को यहीं से राजनेताओं ने थाम लिया और विपक्षी अर्जुन व अन्य को सबक सिखाने का झांसा देकर गुड़िया और उसकी मां को बरगलाना शुरू कर दिया। मामले में और अधिक मनमाफिक न्याय दिलाने के चक्कर में AIMIM के जिलाध्यक्ष कदीर खान ने महिलाओं को अपने संपर्क में लिया और उन्हें साथ लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अनूप पटेल से लखनऊ में मुलाकात करते हुए विपक्षी अर्जुन व साथियों के साथ अमेठी पुलिस पर भी दबाव बनाने के लिए ये वीभत्स कांड करा दिया। ये बात लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने खुद अपनी प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के सामने कही। उन्होंने कहा कि आत्मदाह के लिए भड़काने वाले नेता कदीर खान की सलाह पर अनूप पटेल ने ही पहले मीडिया कर्मियों को फोन कर सूचना दिया। इस मामले में प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी एसडीएम गौरीगंज व एसपी अमेठी ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रकरण पर अथवा आत्मदाह के मुददे पर जन सुनवाई में किसी भी तरह का कोई प्रार्थना पत्र अथवा ज्ञापन नहीं दिया गया था।

बहरहाल राजनेताओं के उकसाने पर गुड़िया और उसकी मां द्वारा उठाये गये घातक कदम से भले ही उनका काम हुआ या न हुआ हो लेकिन कहीं न कहीं राज्य सरकार और अमेठी पुलिस को बदनाम करने की असफल कोशिश जरूर दिखी। आनन फानन में मामले में एसपी अमेठी ने भी थाना प्रभारी, हलका दरोगा व सिपाही पर कार्यवाही करते हुए उन्हें निलंबित कर जांच अपर पुलिस अधीक्षक को सौंप दी। अब देखना ये होगा कि इन शातिर दिमाग राजनेताओं की चाल से निलंबित हुए पुलिस कर्मी कब न्याय पाते हैं जबकि घटना घटित होने के अगले ही दिन पुलिस ने विपक्षी अर्जुन गुप्ता के साथ 3 अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट