चकिया -अपने बच्चे की मौत के बाद मां ने सरकार को बताया बेरहम,कहा- अधिकारियों की लापरवाही ने ले ली मेरे बच्चे की जान 

अपने बच्चे की मौत के बाद मां ने सरकार को बताया बेरहम,कहा- अधिकारियों की लापरवाही ने ले ली मेरे बच्चे की जान

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चंदौली/चकिया- तहसील क्षेत्र के मुबारकपुर गांव निवासी बंदना जायसवाल का 10 वर्षीय पुत्र गौतम कुमार जायसवाल पिछले 1 साल से कैंसर तथा प्लास्टिक एनीमिया रोग से ग्रसित था और उसके परिजनों द्वारा उसे बचाने के लिए तथा उस रोग से छुटकारा पाने के लिए लाख प्रयास किया गया और उसके माता-पिता ने उसका इलाज के लिए अपनी जमीन अब तक गिरवी रख दी तथा माता द्वारा अपना गाना भेज दिया गया और उसी पैसे से करीब 2000000 रुपए लगाकर अपने बच्चे का इलाज कराया गया। लेकिन रोग सुधारने के बजाय और बढ़ता ही जा रहा था जिससे माता-पिता की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई और गौतम के इलाज के लिए अत्यधिक पैसों की जरूरत थी जितना पैसा कि उनके माता-पिता के पास नहीं बचा था। तो उन्होंने अपने बच्चे के इलाज के लिए सरकार से गुहार लगाई। विभागीय अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगाया लेकिन उसके बाद ही इस महिला की कोई सुनवाई नहीं हुई और इसमें अधिकारियों द्वारा लापरवाही की गई। और इस महिला की समस्या को सुनकर इसका निदान नहीं किया गया तथा कुछ सरकार द्वारा आर्थिक मदद नहीं दिया गया जिससे कि आर्थिक मदद ना मिल पाने के कारण यह अपने बच्चे का इलाज सही तरीके से नहीं करा सके और अधिकारियों की लापरवाही के चलते इनका बच्चा वाराणसी स्थित एक अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गया।

वहीं अपने बच्चे की मौत के बाद मां ने सिटी अपडेट न्यूज़ नेटवर्क के जिला संवाददाता कार्तिकेय पांडेय से बातचीत के दौरान केंद्र तथा राज्य सरकार को बेरहम बताते हुए कहा कि इसमें सरकार की सबसे बड़ी लापरवाही है। और सरकार द्वारा अगर मेरे पर थोड़ा सा भी रहम कर दिया गया होता। और सरकार द्वारा मुझे कुछ आर्थिक मदद मिल जाती तो शायद मेरे बच्चे की जान बच गई होती। बंदना जायसवाल यह भी बताया कि अगर सरकार इसी तरह से बीमार बच्चों से संबंधित शिकायत लेकर पहुंचने पर डालती रही और मदद करने का आश्वासन देकर उनको वापस भेजती रही तो अन्य बच्चों के साथ ही ऐसा होने लगेगा जैसा कि मेरे बच्चे के साथ हुआ है।

उन्होंने कहा कि अब सरकार को चाहिए कि जितने भी ऐसे बीमार बच्चे हैं गरीब तबके के बच्चे हैं अगर गरीब बच्चों के बीमार होने की शिकायत सरकार तक पहुंचती है तो सरकार द्वारा तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती करा कर उनका सही तरीके से इलाज कराया जाए और देखभाल किया जाए। जिससे कि उन सभी बच्चों की जान बचाई जा सके।