आम तो आम गुठलियों के भी दाम कहावत चरितार्थ करता जिलें का आबकारी महकमा........

अवैध शराब, गांजे सहित नशीली समाग्रीयों की बिक्री पर अंकुश लगाने की जगह बहाने की बैसाखी से चला रहे विभाग के अधिकारी काम

सूरजपुर।आम तो आम गुठलियों के भी दाम यह कहावत अक्सर आपने सुनी व कही होगी लेकिन इसका वास्तविक रूप से चरितार्थ जिलें में अवैध नशीली पदार्थों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए वेतन लेने वाले आबकारी विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा बखूबी कर रहे हैं।एक तो शासकीय शराब दुकान जो इस कोरोना वायरस संक्रमण काल में एक निश्चित समय तक संचालन सहित सोशल डिस्टेंस जैसे नियमों को पालन कर बिक्री कराने की जिम्मेदारी इस विभाग पर है लेकिन दुकानों की स्थिति कुछ और बयां करते हैं वहीं खुद को सुरक्षित रखने के लिए जिलें के आबकारी विभाग के अधिकारी बकायदा शासकीय राजस्व के टारगेट को पूर्ण करनें में महारात हासिल किए हुए हैं।वह भी बकायदा चाक चौबंद व्यवस्था के बीच जैसे ही शराब दुकान खुलती है, इनके सेवादार कहे जाने वाले अवैध शराब कोचियों द्वारा शराब को दिन के उजाले में ही खरीदारी कर पहुचाने की जुगत में जुट जाते हैं।वहीं ढलती शाम के साथ दुकान बंद होतें ही इन सेवादारों द्वारा तय मूल्य से अधिक दर पर शराब के शौकीनों को ढलती रात के अंधेरे में बकायदा उपलब्ध कराई जा रही है।इससें जहां शराब की बिक्री होने से शासकीय राजस्व भी पूर्ण वही दूसरी तरफ तथाकथित सेवादार कोचियों द्वारा अधिक मुल्य पर बिक्री हुई शराब की आमदनी बकायदा जिलें के अधिकारी के खासमखास कुछ अधिकारी तक सीधे पहुंच रही हैं।इससे आम तो आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत को पूरी तरह विभाग में पूर्ण हो रहा है।जबकी शराब के अलावा गांजा सहित अन्य नशीले पदार्थों पर बिक्री धडल्ले से होने के वावजूद मुख्यालय में ही आबकारी विभाग के पास पर्याप्त अमला होने के वावजूद कार्यवाही पर सवाल अगर पुछने की हिमाकत किसी ने किया तो पहले की तरह बहाने की बैसाखी जिसमें स्टाफ की कमी तो कभी शिकायत या सवाल कर्ता से ही जगह की जानकारी मांगी जाती हैं।इससें अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिलें में आबकारी विभाग के द्वारा किस कदर राजस्व पूर्ति के साथ दिखावे में चंद महुआ शराब विक्रेताओं पर कार्यवाही कर अपनी पीठ स्वयं विभाग के अधिकारियों द्वारा थपथपाने की पुरानी कवायद अभी भी जारी है।वहीं दूसरी तरफ गौर करें पुलिस विभाग के कार्यवाही में शासकीय शराब दुकान की शराब कार्यवाही के दौरान जप्ती होने के बाद भी बहाने के सहारे जिलें के मुख्यालय के शहर सहित अन्य शासकीय शराब दुकानों के संचालन के चंद फासलों में कभी भी आप स्वयं जाकर आखो से स्थिति देख स्थिति का आकलन लगा सकते हैं।