भ्रष्टाचारी मे डूबे अधिकारी का सांथ न देना स्टोनों को स्टोनों को पडा महंगा, जाति गत भेज भाव मे उतरे जिले के जिम्मेदार अधिकारी

कोरिया 25 मई। जिला के कलेक्टर कार्यालय पर पदस्त स्टोनों संतोष पाण्डेय को ब्राम्हण होनें का दण्ड चुकाना पड रहा है। कलेक्टर कोरिया डोमन सिंह की गलत नीतियों में सांथ न देनें के कारण संतोष पाण्डेय को ऐसे प्रक्रण मे फसाकार जेल भेजा गया जो कार्य उनके द्वारा किया ही नहीं जाता था। अपितु लेनदेन व पर्सनल कामों के लिए कलेक्टर ने एक बर्खाआस्त कर्मचारी जो मा.उच्च न्यायालय से विगत 07 वर्षों से स्टे पर चल रहा है उसे खास बना रखा है जो अभी भी कलेक्टर के सारे लेनदेन का कार्य संपादित कर रहा है। कलेक्टर के पद भार ग्रहण के प्रथम दिन ही यह मं शा जाहिर की थी कि ब्राम्हणों को तो देखते ही जुता मारनें का मन करता है। ऐसा ही कह कर प्रदेश की पुर्व सरकार भी अपना सत्ता गवां चुकि है। जिसके बाद अब कलेक्टर कोरिया के बिगडे बोल भी उन्हें कहां ले जाऐंगे वह आनें वाल समय बताऐगा। संतोष पाण्डेय के जेल जानें के पश्चात कलेक्टर ने न तो उनके परिवार की सुध ली और न ही वेतन भत्ता इत्यादि दिया जा रहा है। जबकि बर्खास्त कर्मचारी घटना दिनांक से कार्यालय नही आ रहा है, उसका वेतन प्रतिमाह निर्धारित तिथि को उसके खाते मे डाला जा रहा है। स्टोनों संतोष पाण्डेय की बडी बेटी पिछले वर्ष पुरे छग मे 12वीं सीबीएसई मे प्रथम आई थी। वर्तमान मे वह भारत के नम्बर 1 कालेज मिरिंड हाऊस की छात्रा है। किन्तु पिता के जेल जाने व आर्थिक तंगी के कारण पढाई छुट गई है। वहीं द्वितिय पुत्री जिसनें हाल ही मे कक्षा 8वीं मे केन्द्रीय विद्यालय बैकुण्ठपुर मे 96% के सांथ प्रथम स्थान प्राप्त किया है, किन्तु कलेक्टर के द्वारा किये जा रहे जिले मे भ्रष्टाचार मे सांथ न देने का परिणाम संतोष पाण्डेय सहित उनहे होनहार व देश के भविष्य कहलानें वाले बच्चों को कांपी किताब के लिए तरसना पड रहा है। वहीं एक चौकानें वाली बित सामनें आई है जो कलेक्टर कोरिया डोमन सिंह की मंशा को साफ जाहीर करती है कि जो लडकी छग प्रदेश मे 12वीं मे प्रथम थी, उसे 26 जनवरी को जिला मुख्यालय मे दिए जानें वाले सम्मान मे भी कलेक्टर डोनम सिंह नें मना करा दिया यह कह कर कि ब्राम्हण लडकी है उसे सम्मान की क्या आवश्यक्ता है। यह मंशा जहीर करती है कि ब्राम्हण के लिए क्यि सोंच रखते है कलेक्टर कोरिया जबकि एक कलेक्टर को जाति पाति से दुर रह कर जिले की जनता को हमेशा ही बढावा देना चाहिए। कलेक्टर कोरिया के द्वारा इतना ही नहीं इससे भी अधिक गिरी हुई हरकत तब कर गए जब कलेक्टर ने अपनें सभी कर्मचारियों को अपने पद के प्रभाव से मना कर दिया कि संतोष पाण्डेय से कोई भी बात नहीं करेगा, श्री पाण्डेय के द्वारा दिया गया है कोई भी इनका आवेदन व रजिस्ट्री तक नहीं लेगें, व्हाटसअप व फोन मे भी ब्लाक करके रखा गया है जैसे की कभी दोबारा संतोष पाण्डेय से काम ही नहीं पडेगा। इस संबंध मे संबंध मे संतोष पाण्डेय के द्वारा महामहिम राज्यपाल, मा. मुख्यमंत्री छ.ग. शासन, मा. मुख्य सचिव छ.ग. शासन, मा. पुलिस महानिर्देशक, मा. मानव अधिकार आयोग को भी अवगत कराया मगर ब्राम्हण जाति मे पैदा होना श्री पाण्डेय को यह भुगतना पड रहा है। यहां देखा है कि विभीषण भी बाम्हण कुल मे पैदा हुआ था, जैसे कि कलेक्टर कार्यालय मे मौजूद है। अब देखना यह है कि शासन प्रशासन इस पीडित परिवार को न्याय दिला पाता है या फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा जैसी महत्वपूर्ण सेवा को कलंकित करते हुए जातिगत घ्रणा रखने वाले कलेक्टर को प्राश्रय देती है। सारे विश्व मे कोरोना महामारी के प्रबंधन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की वाहवाही हो रही है वही दूसरी ओर कोरिया जिले के कलेक्टर की जातिगत वैमनस्यता और हठधर्मिता के कारण एक परिवार को भुखमरी की कगार पर लाकर खडा कर दिया गया है। शायद शासन प्रशासन किसी घटना के इंतजार मे है।