बीहड़ अति संवेदनशील ग्राम बरपदर पहुँची जनपद अध्यक्ष दिनेश्वरी

नगरी अशोक संचेती

/मूलभूत व्यवस्था नहीं होने से भावुक हुई अध्यक्ष/

/बरपदर में आंगनवाड़ी, हैण्डपंप और सड़क की नितांत जरूरत/

वाकई , विकास से कोसों दूर यह गांव बरपदर। न बिजली, न पानी, न सड़क, न शिक्षा, न स्वास्थ्य। यहां तक बच्चों के लिए न फुलवारी, न आंगनबाड़ी, फिर भी किसी से कोई शिकायत नहीं। अपने में व्यस्त बरपदर के लोग । इसका यह मतलब नहीं कि, शासन-प्रशासन अपनी आंख मूंद ले। अपने जनपद क्षेत्र के अति संवेदनशील ग्राम बरपदर के दौरे से लौटी जनपद अध्यक्ष दिनेश्वरी नेताम ने ये बात कही।
विभागीय योजनाओं का लाभ पहुंच से कोसों दूर बरपदर में 25 परिवारों का घर जहां कमार आदिवासी और गोंड़ आदिवासी वर्ग के लोग निवास करते हैं। पेयजल हेतु नाम मात्र के दो हैंडपंप स्थापित है। जनपद अध्यक्ष ने दोनों हैंडपंप ओट कर वहां का पानी चख कर देखा तो स्वाद कड़वा लगा। साथ में गये नर्स ने बताया कि इसलिए यहां के लोग झरिया का पानी पीने के लिए मजबूर हैं। जनपद अध्यक्ष ने झरिया में जाकर झरिया खोद कर पानी का स्वाद चखा तो वहां का पानी भी पीने योग्य नहीं था।


छोटे बच्चों हेतु ना यहां फुलवारी की व्यवस्था है, न ही आंगनबाड़ी केंद्र की। लगभग 0 से 5 वर्ष तक के 25 बच्चे यहां पर हैं उनके लिए ना पोषण आहार की व्यवस्था है नहीं प्राथमिक शिक्षा की। प्राथमिक शिक्षा हेतु यहां के इच्छुक बच्चे मेचका और बिरनासिल्ली में पढ़ाई करते हैं। बाकी बच्चे गांव में धूल मिट्टी में खेल कूद कर जीवन जी रहे हैं । ग्राम वासियों ने बताया कि 2016 से यहां का प्राथमिक शाला बंद है । प्राथमिक शाला में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण अधूरा है किस मद से निर्माण अधूरा है और किस मद में उसकी राशि आई, क्या राशि आहरण हुई है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। ग्रामवासियों ने बताया कि यहां एक महिला ही 8वीं पढी है । बाकी निरक्षर, साक्षर या आठवीं से कम पढ़े लिखे लोग हैं । खुले हुए प्राथमिक शाला में सब शैक्षणिक सामग्री इधर-उधर बिखरी हुई थी बच्चों के रिकॉर्ड लेखा-जोखा, राष्ट्रध्वज और स्कूल के पुराने रिकॉर्ड ऐसे ही बिखरे हुए रखा था जिसे जनपद अध्यक्ष ने ग्राम वासियों को बुलाकर ग्राम पटेल के घर सुरक्षित रखवाया।
सड़क बहुत ही कठिन दुष्कर रास्ता पहाड़ियों नालो को पार कर पैदल या फिर साइकिल या मुश्किल से मोटरसाइकिल में पहुंच पाते हैं। पूरा क्षेत्र वन विभाग एवं सिंचाई विभाग के अधीन है। इन विभागों में लाखों करोड़ों का आवंटन प्राप्त होता है पर इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ये विभाग मनरेगा के माध्यम से भी बरपदर के लिए पहुंच मार्ग बना सकते हैं पर क्यों आंख कान बंद किए हुए हैं, समझ से परे है।
इनकी आजीविका का प्रमुख साधन केवल और केवल बांध के उलट क्षेत्र में मछली मार कर जीवन यापन करना है। अभी लाॅकडाउन के चलते इनकी स्थिति अत्यंत ही दयनीय है।

प्रधानमंत्री आवास योजना का बुरा हाल है। यहां के कमार गोंड आदिवासियों को शतप्रतिशत आवास का लाभ दिए जाने लायक है। ग्रामवासियों ने जनपद अध्यक्ष को बताया कि केवल जरहू और तुलसीराम कमार का घर पूर्ण हुआ है, रैमोतीन/फिरतू कमार, केसरी गोंड़ का घर अधूरा है किश्त नहीं मिलने से अधूरा है। केशव कमार और भोला कमार का परिवार को आवास की अत्यंत जरूरत है।यहां शत-प्रतिशत प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत करने की आवश्यकता है।
बरपदर केघनश्याम धुर्वा, ग्राम पटेल हेमंत धुर्वा, वार्ड पंच सोनूराम, मधुबाई, फिरतूराम कमार, केसरीबाई आदि ने बहुत ही सहजता से जनपद अध्यक्ष को पीने के पानी हेतु हैंडपंप, बच्चों के लिए आंगनबाड़ी स्वीकृत करने और ग्राम बरपदर पहुंचने हेतु सड़क निर्माण स्वीकृति हेतु निवेदन किया। जनपद अध्यक्ष दिनेश्वरी नेताम ने सहजता से तीनों मांग पूरा कराने के लिए आश्वस्त किया। इस दौरान जनपद अध्यक्ष के साथ जनपद सदस्य श्यामंत बिसेन, सरपंच बेलरबाहरा कलेश्वरी नेताम, बैद्य केजूराम मरई, पूर्व सरपंच नरेश नेताम व स्वास्थ्य कार्यकर्ता नर्स उपस्थित रहे