*शराब को घर-घर पहुंचाने सरकार के फैसले का विरोध*     //नगरी जनपद पदाधिकारियों ने की निंदा // //शराबबंदी का वादा कर सत्ता में आई सरकार

*शराब को घर-घर पहुंचाने सरकार के फैसले का विरोध*
//नगरी जनपद पदाधिकारियों ने की निंदा //
//शराबबंदी का वादा कर सत्ता में आई सरकार//

नगरी-अशोक संचेती

क्या छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे हीगढ़ेगा'नवा छत्तीसगढ़'। कोरोना जैसे विपदा मेंएक अच्छा अवसर आया थाकि शराब के आदी लोग इसके बिना भी रह सकते हैं । शराब न मिलने के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई। छत्तीसगढ़ियों के मन में एक उम्मीद जगी थी कि अब शराब मुक्त जीवन जी सकते हैं, लेकिन सरकार ने यह मौका गवां दियाहै।
जनपद पंचायत नगरी की अध्यक्ष दिनेश्वरी नेताम, उपाध्यक्ष हुमित लिमजा, सदस्य गण सुलोचना साहू , रेणुका ध्रुव, भुवनेश्वरी, यामिनी ध्रुव, बिसरी कुंजाम आदि ने कहा कि ऐसा लगता है कि शराब के बिना शराबी नहीं बल्कि खुद सरकार नहीं रह सकती। सरकार का काम जनता की मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखना है न कि शराब को घर-घर पहुंचा कर देना है। छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी यहां की सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल है । अब उल्टे घर तक इसका प्रसार कर वास्तव में छत्तीसगढ़ के भविष्य को नष्ट करने की साजिश रच रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि हमें आश्चर्य है कि शराब को बेचने के लिए सरकार नए-नए तरीके क्यों अपना रही है। अब परीक्षा शराबियों की नहीं बल्कि सरकार की है कि वह अपना आर्थिक हित देखती है या जनता की।
निम्न आय वर्ग के पास इतनी जमा पूंजी नहीं है कि वह आने वाले बेकारी के दिनों को काट सके। ऐसे गंभीर संकट के समय शराब बिक्री का रास्ता खोलकर सरकार ने दरअसल इस वर्ग की बर्बादी का ही रास्ता खोला है । तय मानिए बेचारों की जो भीजमा पूंजी है वह भी दारू की भेंट चढ़ने वाली है। सोशल/ फिजिकल डिस्टेंसिंग की जो धज्जियां उड़ेगी सो अलग ।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी से हमारा करबद्ध निवेदन है कि छत्तीसगढ़ में तत्काल पूर्ण शराबबंदी करें और अपने वादे को निभायें।