नर्सों के भरोसे जिला अस्पताल का मांडल मेटरनिटी वार्ड

कोरिया 24 अप्रैल। वैसे तो पूरे जिले में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को परेशान होना पड़ता है। तब भी डॉक्टर पूरी लगन से मरीजों के इलाज में लगे रहते हैं। लेकिन जिला अस्पताल का मॉडल मेटरनिटी वार्ड को अस्पताल की नर्सों ने संभाल रखा है। चौबीस घण्टे अस्पताल के मॉडल मेटरनिटी वार्ड को संभालने वाली नर्सें केवल नार्मल डिलेवरी करा सकती हैं। अस्पताल में एक माह में सैकणों डिलेवरी का आंकड़ा है। वहीं सीजर केवल 10 ही हैं।

कमाई में लगे चिकित्सक
जिला अस्पताल के डिलेवरी के आंकड़े देखने पर ऐसा लगता है कि इससे कहीं ज्यादा सीएचसी में डिलेवरी होती होगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गायनी के डॉक्टर केवल सुबह ही देखने आते हैं उसके बाद अपनी दूसरी कमाई में लग जाते हैं। जिस कारण इतनी कम डिलेवरी जिला अस्पताल में हो रही है।वहीं प्राईवेट अस्पतालमें एक वर्ष में हजारोंं डिलवरी होना जिला अस्पताल के गायनी विभाग पर करारा तमाचा है। ऐसे में यही सिद्ध होता है कि जिला अस्पताल के गायनी विभाग के डॉक्टर अपने कार्य के प्रति लापरवाह नजर आते हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सत्र में जितनी भी डिलेवरी जिला अस्पताल में आती है उन्हें प्राईवेट अस्पताल का रास्ता दिखाया जाता है।देखने व उपचार के बजाय रेफर कर देते हैं। जिला अस्पताल में भर्ती सावित्री को प्राईवेट अस्पतालरेफर कर दिया गया। सावित्री का कहना है कि तीन दिन पूर्व डिलेवरी हुई लेकिन डॉक्टर देखने तक नहीं आई केवल नर्सों ने देखा , हमारे हाथ-पांव में सूजन आने के बाद प्राईवेट अस्पतालभेज दिया गया है। जिला अस्पताल में यह किसी एक सावित्री की घटना नहीं है। आये दिन इस तरह के मामले इसलिये बढ़ रहे हैं क्योंकि डॉक्टर कभी आॅन कॉल पर उपलब्ध नहीं होता। कोई मरीज ऐसा नहीं मिला जो बता सके कि डॉक्टर आॅन कॉल में देखे हैं। अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है। लेकिन हमारे यहां डिलेवरी होती है। एक माह मे लगभग एक हजार से अधिक म डिलेवरियां हुई हैं। सिविल सर्जन, जिला अस्पताल