राजनांद गांव से लगभग चार दर्जन लोग कलेक्टर की अनुमति  से जा रहे थे, कोरिया मे पकडाए सभी को रोका गया आश्रम में

कोरिया 20 अप्रैल। जिले में कोरोना काल में वैसे तो कई स्थानों पर जिला प्रशासन ने राहत शिविर बनाकर बाहर से आए मजदूरों को रखा है, परन्तु मनसुख के देवानीबांध स्थित राहत शिविर मे रखे मजदूरों की सुविधाएं कुछ अलग है। यहां रूके मजदूर खाली समय में कैरम लूडो खेल रहे है, वहीं हर एक मजदूर को अपना बेड भी मिला हुआ है। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र से चलकर राजनांदगांव पहुंचे मजदूरों को छत्तीसगढ पुलिस ने उन्हे रोक दिया, जिसके बाद राजनांदगांव जिला प्रशासन ने सभी मजदूरों के झारखंड जाने की अनुमति प्रदान कर दी, जिसके तहत दो बसो में इन्हें भरकर भेजा गया, परन्तु कोरिया जिला मुख्यालय पहुंचने के पूर्व मनसुख के पास देवानीबांध के सर्व सुविधायुक्त आदिवासी आश्रम में इन्हें रूकवाया गया। दो दिन से ये सभी यहां आराम से रह रहे है, आश्रम के सभी कमरों में अलग अलग पलंग बने हुए है, जिसमें सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए सभी हो अलग अलग पलंग दिए गए है। सभी को मास्क प्रदान किया गया है। वहीं हर दिन मेडिकल टीम मौके पर पहुंच रही है जो मजदूरों के स्वास्थ्य का परीक्षण करती है। दूसरी ओर मजदूरों ने बताया कि वो सभी महाराष्ट्र मे सेंट्रिग करने का काम करते है, जिस कम्पनी में वे काम करते थे, उसमें उन्हें अच्छी खासी बचत हो जाती थी, परन्तु कोरोना के कारण जो हमे परेशनी हुई है अब वो अपना घर छोड बाहर काम की तलाश मे नही जाएगे। दरअसल, रूके मजदूरों के पास कोई काम नहीं है, ऐसे में आश्रम अधीक्षिका ने मजदूरों को आश्रम से रखे कैरम, चेस और लूडो दे दिए, जिसके बाद अब उनका इस तरह टाईम पास हो रहा है। वहीं कुछ मजदूर अपने घर जाने के लिए परेशान है, उनका कहना है कि भले ही हमे सारी सुविधाएं मिल जाए, परन्तु अपना घर अपना ही होता है।महेन्द्र पाण्डेय।