घुमंतु परिवार है बदहाल, नहीं है कोई मदद करने वाला

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन होने के कारण लोग अपने घर में कैद हो गए है तो कई जगहों देखने को मिल रहा है कि सरकार और प्रशासन लोगों को खाने पीने और जरुरी चीजों के साथ कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क, सैनेटाइजर्स और ग्लब्स भी मुहैया करवा रहा है लेकिन यूपी के अमेठी में कुछ घुमंतू परिवारों का कहना है कि उनके पास हाथ घुलने का साबुन तक नहीं है और उन्हें कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार द्वारा या प्रशासन द्वारा अभी तक कुछ उपलब्ध नहीं करायागया है।

ये पूरा मामला अमेठी के मुसाफिरखाना में रुके घुमंतू परिवारों का है। इस घुमंतू परिवार में करीब 10 सदस्य है जो कूड़ा बिनने के लिए कस्बे में लगभग 2 महीने पहले आये थे लेकिन लॉक दावों के चलते वे सभी इसी कस्बे के होकर रह गए जिन्हें एक एक पल काटना अब मुश्किल हो गया है। इनकी एकमात्र आजीविका कूड़ा कबाड़ बनाकर उसे कबाड़ी की दुकान पर बेचना और उससे मिले पैसे से परिवार का खर्च चलाना। लेकिन लॉक डाउन के चलते इनके परिवार की आजीविका ठप पड़ चुकी है। वहीं इसी परिवार की एक महिला बुरी तरह से बीमार है लेकिन आर्थिक रूप से व लॉक डाउन से मजबूर महिला अपने डेरे पर ही पड़ी हुई है जिसकी सुधिबलने वाला कोई नहीं है।

इस घुमंतु परिवार के कई बच्चे भी बिना सुरक्षा कवच के कस्बे में रह रहे हैं। इस परिवार की एक बच्ची गीता ने बताया कि उसके पापा नहीं है फिर भी वह स्कूल पढ़ने जाती है लेकिन वह पेट की खातिर कूड़ा उठाने को मजबूर है।

वही जब इस पूरे मामले को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश कुमार अग्रहरि से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कस्बे में लगभग 2000 माक्स व 200 सैनेटीज़र्स बाट चुके है आप द्वारा सूचना मिली है और अब तत्काल वहां पहुचकर उनको मास्क और सैनेटीज़र्स उपलब्ध करवा दिया जाएगा। बीमार महिला को तुरन्त किसी साधन से अस्पताल पहुंचाकर उसका इलाज कराएंगे।

अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट