लॉक डाउन के दौरान अमेठी के कस्तूरी पुर गांव के दो परिवारों में रोटी का संकट

देश मे लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों के बाद 24 मार्च की देर शाम पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे देश मे 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर दी और कोरोना से जंग जीतने के लिए लोगो को घरों में रहने की अपील की और ये भी आश्वस्त किया कि हर जरूरतमंदों को जरूरत की सभी चीजें स्थानीय प्रसाशन द्वारा पहुचाई जाएगी लेकिन स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र में दो परिवारों के पास न तो पैसे है और न ही खाने पीने का सामान जिससे कि वो अपना और अपने परिवार पेट पाल कर प्रधानमंत्री के लॉकडाउन का पालन कर अपने परिवार को कोरोना महामारी से बचा सकें।दोनो परिवारों ने अपने गांव के प्रधान और कोटेदार से भी मदद मांग चुके है लेकिन उनके द्वारा अभी तक कोई मदद नही की गई अगर समय रहते प्रसाशन ने उनकी नही सुनी तो दोनों परिवार भूख से बिलखते नजर आएंगे। मामलायूपी के अमेठी जिले के अमेठी तहसील के कस्तूरीपुर गाँव का है जहाँ इसी गाँव के रहने वाले रामनाथ कोरी और स्वामीनाथ विश्वकर्मा मेहनत मजदूरी करके किसी तरह से अपना घर चलाते थे लेकिन जब से कोरोना महामारी के चलते देश मे लॉकडाउन शुरू हुआ तब से वे कही काम करने नही जा पा रहे है जिस कारण उनका घर चलना मुश्किल हो गया है और भुखमरी के कगार पर पहुँच गये है। हालांकि आज तक ग्रामीणो की मद्दत से उनके घर मे खाना बन रहा था लेकिन आज के बाद उनके पास कोई रास्ता नही है।पीड़ित रामनाथ की माने तो वो एक चलती फिरती छोटी सी पान की दुकान चलाता है जिससे उसका और उसके घर का खर्च चलता था लेकिन बाजार बंद हो जाने के कारण अब दुकान भी नही लग पा रही है।आज अपने आसपास के लोगो से माँग कर काम चला लिया है लेकिन आज के बाद कोई रास्ता नही है।यही नही पीड़ित ने ये भी आरोप लगाया कि अभी तक सरकारी राशन की दुकान से राशन भी नही मिला है इस लिये समस्या हो रही है और उनके पास रुपया भी नही है कि वो बाहर से ला सके।

बाइट-रामनाथ(पीड़ित ग्रामीण)

वही दूसरे पीड़ित महिला की माने तो उसके पति दिहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चलाते है लेकिन लॉकडाउन के बाद वो काम पर नही गए जिसके बाद उनके घर का राशन समाप्त।थोड़ा सा चावल घर मे बचा था उसे आज बनाकर सूखे ही खा लिया।

बाइट-पीड़ित महिला

वही ग्राम प्रधान की माने ये दोनों मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार चलाते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद इनका काम बंद हो गया है और मेरे पास ऐसा कोई फंड भी नही है कि मैं इनकी मदद कर सकूं।

बाइट-दूधनाथ यादव(ग्राम प्रधान)

अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट