जिले में पहली बार बच्ची के जन्मजात जुड़े हुए गुर्दों  क्रॉस फ्यूज़ड रीनल एक्टोपिया की पथरी का प्राकृतिक छिद्र द्वारा अत्याधुनिक तकनीक (RIRS) के माध्यम से सफल उपचार

रायबरेली।जिले में पहली बार बच्ची के जन्मजात जुड़े हुए गुर्दों क्रॉस फ्यूज़ड रीनल एक्टोपिया की पथरी का प्राकृतिक छिद्र द्वारा अत्याधुनिक तकनीक (RIRS) के माध्यम से सफल उपचार किया।कार्यकारी निदेशक डॉ अमिता जैन के मार्गदर्शन में एम्स रायबरेली चिकित्सा के क्षेत्र में रोज़ नए आयाम गढ़ रहा है Iदिनांक २ दिसंबर २०२५ को एम्स रायबरेली के यूरोलॉजी विभाग में एक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात किडनी विसंगति में पथरी की सर्जरी हुई।दुर्लभ विसंगति का इलाज भी एक अत्यंत दुर्लभ तकनीक से किया गया।जो कि रायबरेली जिले में प्रथम बार की गई।
क्या है क्रॉस फ्यूज़ड एक्टोपिक किडनी (Cross Fused Ectopic Kidney)यह एक जन्मजात विकृति है,जिसमें दोनों किडनियाँ शरीर के एक ही ओर स्थित होकर एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं,एक किडनी अपनी सामान्य स्थिति छोड़कर दूसरी तरफ चली जाती है,जिस के कारण शरीर की आतंरिक संरचना बदल जाती है I
13 साल की बच्ची एम्स रायबरेली के यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में एक वर्ष से हो रहे बार बार पेट दर्द एवं पेशाब में जलन की शिकायत ले कर आयी। जांच कराने पर पता चला की वह क्रॉस फ्यूज़ रेनल एक्टोपिया नामक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात गुर्दे की विसंगति से ग्रस्त है तथा उसमें पथरी बन जाने के कारण उसको पेटदर्द एवं पेशाब में जलन जैसे लक्षण आ रहे थे।यूरोलॉजी विभाग के डॉ.अमित मिश्रा ने इसमें एक अत्याधुनिक तकनीक (RIRS) द्वारा शरीर के प्राकृतिक छिद्र के रास्ते से ही लेज़र द्वारा पथरी को तोड़ने का निर्णय लिया।ऐसे जटिल मामलों के उपचार के लिए उन्नत एंडोस्कोपिक तकनीक RIRS (Retrograde Intrarenal Surgery)आधुनिक यूरोलॉजी में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित हो चुकी है।विशेषज्ञों के अनुसार RIRS एक उच्च कौशल-आधारित और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है।इस प्रक्रिया में अत्यंत पतले एवं लचीले एंडोस्कोप को मूत्रमार्ग, मूत्राशय तथा मूत्रनली से होते हुए किडनी के भीतर सटीकता से पहुँचाना होता है। जिसके उपरांत लेज़र मशीन द्वारा पथरी को तोड़ दिया जाता है।इन सभी चुनौतियों के बावजूद,यह प्रक्रिया बिना किसी बाहरी चीरे के संपन्न की जाती है,जिससे मरीज को न्यूनतम शारीरिक कष्ट होता है।मरीज को कम दर्द,न के बराबर रक्तस्राव तथा जल्द स्वास्थ्य लाभ मिलता है।अत्यंत जटिल अवस्थाओं में स्थित पथरी को भी उच्च सटीकता के साथ तोड़कर हटाया जा सकता है।हाई-रिस्क मरीज, बुजुर्ग और बच्चों में भी यह प्रक्रिया सुरक्षित पाई गई है।सर्जिकल टीम में डॉ. अमित मिश्रा(यूरोलॉजिस्ट),डॉ.अभय (एनेस्थेटिस्ट), डॉ.रविराज (सर्जरी रेजिडेंट),श्री कृष्णा गुर्जर,बीना, एस जयपाल (नर्सिंग स्टाफ) एवं तकनीशियन लक्ष्मी शामिल थे।बच्ची की ऑपरेशन पूर्व और पश्चात देखभाल में यूरोलॉजी वार्ड में तैनात वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी सुश्री नम्रता,श्री सुमंत,श्रीमती एकता और नर्सिंग अधिकारियों की टीम का विशेष योगदान रहा। सर्जरी के उपरांत हुई जांच में किडनी पूरी तरह पथरी से मुक्त पायी गयी तथा बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया गया है।रायबरेली में पहली बार इस्तेमाल हो रही इस अत्याधुनिक तकनीक के सफल उपयोग का श्रेय यूरोलॉजी विभाग ने एम्स रायबरेली की कार्यकारी निदेशक, प्रोफेसर डॉ अमिता जैन को दिया है,जिन्होंने संस्थान में मरीजों को नयी और उभरती तकनीकों के माध्यम से उच्चतम सेवा प्रदान करने के लिए हमेशा मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान किया है।