विदेश के स्काउट एवं गाइडस के लिए अपनी उच्च क्षमता वाली दूरबीनों के माध्यम से रात्रि आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन

इंदिरा गाँधी नक्षत्रशाला, लखनऊ द्वारा भारत स्काउट एवं गाइड द्वारा आयोजित 19वीं नेशनल जम्बूरी कार्यक्रम में देश-विदेश के स्काउट एवं गाइडस के लिए अपनी उच्च क्षमता वाली दूरबीनों के माध्यम से रात्रि आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन करवाया जा रहा है। इस वर्ष आयोजित जम्बूरी में लगभग 35,000 प्रतिभागी शिविर में शामिल होकर स्काउटिंग की भावना सेवा, अनुशासन, साहस, एकता और कौशल का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। जम्बूरी में देश-विदेश से आए स्काउट, गाइड, रोवर्स, रेंजर्स, अधिकारी और सहयोगी कर्मचारी को प्रत्यक्ष रूप से दूरबीनों के माध्यम से शनि ग्रह के छल्लों, ब्रहस्पति गृह और उसके गेलैलियन चंद्रमा और हमारे सबके प्यारे चंद्रमा का भरपूर अवलोकन किया । यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश अमेच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब के द्वारा श्री अनुराग अवस्थी एवं स्वप्निल रस्तोगी के द्वारा संचालित हो रहे हैं। रात्रि आकाश दर्शन के तहत नक्षत्रशाला द्वारा लगाए गए बड़े टेलीस्कोपों से प्रतिभागियों को चन्द्रमा, शनि ग्रह के छल्ले, बृहस्पति का लाल धब्बा, तथा शुक्र ग्रह की कलाएँ दिखाए जा रहे हैं। बच्चों में इन ग्रहों को देखने को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश एमैच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब के अनुराग, काव्या, वंशिका, आराधना, राहिल, गरिमा, कोमल, आदित्य अनस, दीपशिखा, अक्षत पाल, अंश सदस्यों द्वारा अपने जूनियर सदस्यों को भी जनसामान्य हेतु आयोजित इवेंट्स को सँभालने एवं आयोजित कराये जाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। कार्यक्रम उत्तर प्रदेश अमेच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब के विशेषज्ञ उन्हें ग्रहों की संरचना एवं विशेषताओं की संक्षिप्त जानकारी भी प्रदान कर रहे हैं। इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला ने कार्यक्रमों के समन्वय के लिए श्री दिनेश जोशी और श्री संदीप यादव को तैनात किया है। सभी स्काउट एवं गाइड्स में चंद्रमा को ले के अत्यंत कुतूहल का भाव था क्योकि वे पहली बार चन्द्रमा की सतह को इतने करीब से देख रहे थे । दूरबीन से चंद्रमा को पहली बार करीब से देखना किसी भी स्काउट-गाइड के लिए अद्भुत अनुभव होता है। चंद्रमा की सतह पर कई रोचक और वैज्ञानिक विशेषताएँ दिखती हैं, जो नंगी आँखों से दिखाई नहीं देतीं। दूरबीन से देखने पर ही सामान्यतः यह चीज़ें साफ दिखाई देती हैं । चन्द्रमा को दूरबीन से देखने पर उल्कापिंडों के टकराने से बने हजारों गड्ढे (Impact Craters) साफ़ दिखते हैं। इनमे से प्रमुख है टाईको, कोपरनिकस, क्लैविअस, प्लेटो, जो कि काफी बड़े है और आसानी से नजर आते है । इसके अतिरिक्त चंद्रमा की सतह पर स्तिथ पर्वत और इन पहाड़ों की लंबी परछाइयाँ सूर्य की रोशनी में बेहद सुंदर दिखती हैं । विशेषकर चंद्रमा के Terminator (दिन-रात की सीमा) के पास। नंगी आँखों से चंद्रमा पर जो गहरे धब्बे दिखते हैं, दूरबीन से वे विशाल समतल लावा मैदान दिखाई देते हैं। जिन्हें मारिया कहते है । सभी कार्यक्रम नक्षत्रशाला खंड प्रभारी डॉ. राजेश कुमार गंगवार तथा डॉ. सुमित कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन में आयोजित किए जा रहे हैं। डॉ. गंगवार ने बताया कि नक्षत्रशाला की सभी गतिविधियाँ पूरी तरह निःशुल्क हैं और नक्षत्रशाला समय समय पर सूर्यदर्शन एवं रात्रि आकाश दर्शन, ग्रहण, पारगमन, उल्का वर्षा, एस्ट्रोफोटोग्राफी वर्कशॉप आदि का आयोजन जनसामान्य विशेषकर विद्यार्थियों हेतु करवाया जाता है कार्यक्रमों के बारें में समस्त जानकारियाँ परिषद की वेबसाइट www.cst.up.gov.in से प्राप्त की जा सकती है । जम्बूरी में यह खगोलीय कार्यक्रम 23 से 29 नवम्बर 2025 तक रोजाना नक्षत्रशाला एवं उत्तर प्रदेश एमैच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब के सहयोग से संचालित हो रहे हैं।