विजय कुमार ने मध्य रेल के महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण किया

विजय कुमार ने मध्य रेल के महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण किया

विजय कुमार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स के महाप्रबंधक के रूप में 700 लोकोमोटिव के उत्पादन की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।

विजय कुमार ने 01 अक्टूबर को मध्य रेल के महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण किया। वे भारतीय रेलवे यांत्रिक इंजीनियर सेवा (IRSME), 1988 बैच के अधिकारी हैं। वे श्री धर्म वीर मीना का स्थान लेंगे, जो 30 सितंबर, 2025 को सेवानिवृत्त हुए ।

मध्य रेल के महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण करने से पहले, विजय कुमार, चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW) के महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत थे, जहाँ उन्होंने CLW को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में गतिशील नेतृत्व प्रदान किया। उनके कुशल निर्देशन में, सीएलडब्ल्यू ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान विश्वस्तरीय विशेषताओं वाले 700 इंजनों का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन करके इतिहास रचा ।

चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में 777 इंजनों के उत्पादन का एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य दिया गया था, जिसके पूर्तीहेतू सीएलडब्ल्यू द्वारा पहले 6 महीनों में ही 417 इंजन बनाए जा चुके हैं।

अपने 35 वर्षों से अधिक के शानदार करियर के दौरान, उन्होंने भारतीय रेल में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और उत्तर पश्चिम रेलवे, रेलवे बोर्ड, उत्तर रेलवे और अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

रेलवे बोर्ड में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने स्पेनिश डिज़ाइन वाली एल्युमीनियम कोच से बनी टैल्गो ट्रेनों के गति परीक्षणों का संचालन किया और स्वर्णिम चतुर्भुज (गोल्डन क्वाड्रिलेटरल) सहित सभी सेमी-हाई स्पीड कॉरिडोर के लिए नोडल अधिकारी थे।

आरडीएसओ में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 6 वर्षों से अधिक समय तक पूरे उत्तर भारत के लिए जिम्मेदार निदेशक आइ एण्ड ऍल (निरीक्षण एवं संपर्क) की जिम्मेदारी को कार्यकुशलता से निभाया।

उन्होंने नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) में कार्यकारी निदेशक/रोलिंग स्टॉक और निदेशक रोलिंग स्टॉक के रूप में भी 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

विजय कुमार ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है। उन्होंने सिंगापुर और मलेशिया से उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम; क्रिस, नई दिल्ली से सूचना प्रौद्योगिकी और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद से रणनीतिक प्रबंधन मुद्दों पर कार्यशाला का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

उन्होंने कार्य के सिलसिले में 20 से अधिक देशों का दौरा भी किया है और भारतीय रेल की तकनीकी उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

विजय कुमार को माननीय रेल मंत्री पुरस्कार से तीन बार सम्मानित किया गया है।

1995 में आलमबाग डीजल शेड में लोको विफलताओं को 35% तक कम करने और लोको उपलब्धता बढ़ाने के उनके प्रयासों के लिए।

1999 में लुधियाना डीज़ल शेड में इंजनों की विश्वसनीयता में 150% तक उल्लेखनीय सुधार लाने के उनके समर्पित प्रयासों के लिए।

और फिर 2011 में राजभाषा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए।

उन्हें 1992 में रेलवे बोर्ड के सदस्य मैकेनिकल से नवीन विचारों और आंतरिक प्रतिभा के साथ 2 टन बॅश पावर हैमर (Bache Power Hammer ) की कमीशनिंग और पहली पोस्टिंग के पहले 6 महीनों की अवधि में फाउंड्री शॉप के उत्पादन को 6000 से बढ़ाकर 15000 प्रति माह करने के लिए पुरस्कृत किया गया ।

उन्हें 2006 में आरडीएसओ के महानिदेशक द्वारा आरडीएसओ में परेषिती (Consignee) शिकायतों को 150% तक कम करने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अपने परिणाम-उन्मुख नेतृत्व के लिए जाने जाने वाले, श्री विजय कुमार नवाचार, गुणवत्ता और दक्षता को बढ़ावा देने के एक समृद्ध अनुभव के धनी हैं। वह मध्य रेल को सुरक्षा, यात्री सुविधा, स्थिरता और क्षमता वृद्धि में अग्रणी के रूप में देखते हैं, जो भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और 2047 तक 'विकसित भारत' की प्राप्ति हेतु "मेक इन इंडिया" लक्ष्यों के अनुरूप है।