सबको अपना मानकर चलना संस्कृति की विशेषता

परिवर्तन के लिए कंफर्ट जोन से बाहर आना होगा�

पंच परिवर्तन समाज परिवर्तन विषय पर विचार गोष्ठी�

झांसी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचार प्रमुख स्वांतरंजन ने कहा कि सबको अपना मानकर चलना हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता है। विभिन्न आक्रमणों के चलते समाज संघर्षरत रहा है। इन आक्रमणों की वजह से देश के लोग आत्म विस्मृत हो गए। उक्त उद्गार उन्होंने आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में पंच परिवर्तन,समाज परिवर्तन विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में जुटे लोगों के मध्य रखे। उन्होंने कहा कि समाज परिवर्तन के लिए हमें कंफर्ट जोन से बाहर आना होगा।

स्वांतरंजन ने कहा कि समाज परिवर्तन का कार्य केवल कुछ लोगों द्वारा किया जाना संभव नहीं है।� जब पूरा समाज लगता है तब परिवर्तन होता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की विशिष्टताओं को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पाप और पुण्य की अवधारणा,कर्म का सिद्धांत देकर विद्वानों ने समाज को नियंत्रण में रखा। उन्होंने राष्ट्रीयता के भाव के विकास में महर्षि अरविन्द, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय, डा केशवराव बलिराम हेडगेवार, संघ के द्वितीय सरसंघ चालक एम एस गोलवलकर आदि की भूमिकाओं को भी रेखांकित किया। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने के लिए संघ की ओर से किए कार्यों का भी ब्योरा दिया। राम जन्मभूमि आंदोलन का भी जिक्र उन्होंने किया। उन्होंने समाज के प्रबुद्ध लोगों से समाज परिवर्तन में सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया।�


महारानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय,झांसी के कुलपति प्रो अशोक कुमार सिंह ने कहा कि हमारे पास संसाधन सीमित है। आबादी अत्यधिक है। इसलिए में स्वदेशी को अंगीकार करना चाहिए। जैव विविधता के मामले में हम संपन्न हैं। हमें बड़ी सजगता से स्वदेशी को अपनाना है। हमें अपने देश के पेड़ पौधों, फसलों की प्रजाति को बचाकर रखने की जरूरत है। जल प्रबंधन और संरक्षण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। पानी की बर्बादी रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने संयुक्त परिवार की शक्ति को अक्षुण्ण रखने पर भी जोर दिया। प्रो सिंह ने कहा कि देश के उच्च शिक्षा के संस्थान देश को विविधता में एकता का संदेश देते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत को वैभव प्रदान करने के लिए हमें अपनी संस्कृति के सूत्रों को आत्मसात करना होगा। हमारी संस्कृति बताती है कि पूरा विश्व एक परिवार है। भारतीय ज्ञान परंपरा अनुपम है। हमारी संस्कृति सिखाती है पंच तत्वों के समावेशी विकास और संरक्षण पर ध्यान दिया जाए। प्रो पाण्डेय ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न घटकों की खूबियों को भी रेखांकित किया। पौधों की प्राकृतिक और सामाजिक उपयोगिता का भी उल्लेख उन्होंने किया। प्रो पाण्डेय ने वास्तुशास्त्र के वैश्विक महत्व का भी जिक्र किया। हमारे महाकाव्य हमें मर्यादा, परस्पर सहयोग, समयबद्धता, अनुशासन, कुशल नेतृत्व, संगठन खड़ा करने की क्षमता और कर्म की प्रधानता का सीख देते हैं। कार्यक्रम का संचालन डा मुकुल पस्तोर ने किया। इस कार्यक्रम में संघ के पदाधिकारी शिव कुमार भार्गव, सतीश चन्द्र अग्रवाल, संघ के प्रांत कार्यवाह श्रीरामकेश, मुनीश कुमार, पूर्व मंत्री रवींद्र शुक्ल, जन संचार एवं पत्रकारिता संस्थान के समन्वयक डा कौशल त्रिपाठी, डा राघवेन्द्र दीक्षित, उमेश शुक्ल, इंललित गुप्ता,डा संतोष पाण्डेय,अतीत विजय समेत अनेक लोग मौजूद रहे।

इस कार्यक्रम से पूर्व रीतिका अग्रवाल और वैभव पस्तोर ने मनमोहक अंदाज में भजन पेश किए। उनकी प्रस्तुतियों को लोगों ने सराहा।