कानपुर में “आई लव मुहम्मद ” पर FIR: दरगाह आला हज़रत ने किया कड़ा विरोध, फरमान मिया ने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।।

बरेली। कानपुर में हाल ही में ?आई लव मुहम्मद ? लिखे बोर्ड लगाने पर 25 मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को लेकर बरेली स्थित दरगाह आला हज़रत से बड़ा बयान सामने आया है। दरगाह आला हज़रत के प्रमुख संगठन जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन ख़ान (फरमान मियां) ने इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए भारतीय संविधान के मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन करार दिया।

व्यक्तिगत आस्था पर रोक असंवैधानिक।

फरमान मियां ने कहा कि ?आई लव मुहम्मद ? लिखना किसी भी स्थिति में अपराध नहीं है, यह केवल व्यक्तिगत आस्था और सम्मान की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ से प्रेम जताना इसी अधिकार का हिस्सा है, जिसे किसी भी कानून से रोका नहीं जा सकता।

उन्होंने आगे कहा कि अनुच्छेद 25 हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है, वहीं अनुच्छेद 21 नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। ऐसे में धार्मिक प्रेम और आस्था की अभिव्यक्ति पर कार्रवाई करना असंवैधानिक है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला

दरगाह आला हज़रत की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है। मेनका गांधी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1978) मामले का हवाला देते हुए कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई नागरिकों की आज़ादी को दबाने के समान है।

मुकदमों की वापसी और धार्मिक स्वतंत्रता की अपील

जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा ने प्रशासन से मांग की कि निर्दोष युवकों पर दर्ज मुकदमे तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएं। संगठन ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धाराएं तभी लागू होती हैं जब जानबूझकर किसी धर्म का अपमान किया गया हो, जबकि ?आई लव मुहम्मद ? लिखना किसी भी धर्म का अपमान नहीं है, बल्कि यह एक सकारात्मक और प्रेमपूर्ण संदेश है।दरगाह आला हज़रत ने प्रशासन से अपील की कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी भी समुदाय के लोगों को अपने धार्मिक प्रेम और आस्था को प्रकट करने से रोका न जा सके भारत का संविधान सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दरगाह आला हज़रत हमेशा संविधान और न्याय की रक्षा के लिए आवाज़ उठाता रहेगा।