शासकीय भूमि पर करोड़ों का खेल : अधूरी कार्रवाई पर शहर में गुस्सा, फिर शुरू हुई वसूली की खबरें

कोरबा // मानिकपुर डिपरापारा में शासकीय भूमि पर हुआ कब्जा अब पूरे शहर में बहस और आक्रोश का मुद्दा बन गया है। करीब 01 एकड़ शासकीय जमीन को प्लॉट काटकर लक्ष्मण लहरे, सीताराम चौहान, राजू सिमोन और सूरज चौहान ने 19 लोगों को लाखों-करोड़ों में बेच डाला।

शिकायतें हुईं, जांच हुई, नोटिस चिपकाए गए, मुनादी कराई गई? और आखिरकार प्रशासन ने केवल 9 घरों पर कार्रवाई कर अतिक्रमण मुक्त कराया। लेकिन बाकी 10 अतिक्रमणकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं! उल्टे चर्चा ये है कि उन घरों को बचाने के नाम पर 50-50 हजार रुपये की वसूली फिर से की जा रही है।

अधूरी कार्रवाई = जनता का गुस्सा

पार्षद सुनीता चौहान ने पूरे मामले की शिकायत तहसील, कलेक्टर, नगर निगम से लेकर विधायक और मंत्री तक से की थी।

10 जून को बाकायदा आवेदन देकर कब्जा हटाने की मांग भी की गई। लेकिन 3 महीने बाद भी नतीजा शून्य है।

लोग पूछ रहे हैं ?

👉 क्या प्रशासन सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता है?

👉 आखिर किन नेताओं और अफसरों की शह पर कब्जाधारी अब भी बच रहे हैं?

👉 सरकारी जमीन को करोड़ों में बेच देने वालों पर क्यों चुप्पी साध ली गई है?

राजनीतिक संरक्षण की बू

क्षेत्रवासियों का सीधा आरोप है कि आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसलिए कार्रवाई आधी-अधूरी छोड़ दी गई।

शहर के लोग अब खुलेआम सवाल कर रहे हैं ?

🗣️ ?ऐसे जमीन दलालों को आखिर किसका संरक्षण है? किसकी जेब में जा रहे हैं ये रुपये? और किसके इशारे पर प्रशासन चुप बैठा है??

जनता अब सड़कों पर उतरने को तैयार

मानिकपुर डिपरापारा की ये कहानी सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और प्रशासन की नीयत का सवाल है।

अगर शासकीय भूमि पर कब्जा हटाने में ही 3-3 महीने लगते हैं,

अगर जमीन माफियाओं से मिलीभगत में ही कार्रवाई दबा दी जाती है,

और अगर आम जनता की शिकायतों को ठंडी तिजोरी में डाल दिया जाता है?

तो सवाल यह है कि जनता न्याय की उम्मीद कहां से करे?

✍️ CitiUpdate की रिपोर्ट...