टांटिया यूनिवर्सिटी में हुआ शौर्य के रंग देशभक्ति के संग कार्यक्रम का आयोजन

शौर्य के साये में उमड़ा देश भक्ति का ज्वार
-वक्ता बोले, ?मातृभूमि का मान सर्वाेपरि, इसके लिए जान देने को तैयार?
-टांटिया यूनिवर्सिटी एवं बॉर्डरमैन का संयुक्त आयोजन
श्रीगंगानगर। टांटिया यूनिवर्सिटी और बॉर्डरमैन के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को टांटिया यूनिवर्सिटी में ?शौर्य के रंग, तिरंगे के संग? कार्यक्रम हुआ। साहस, शौर्य, वीरता, देशभक्ति और राष्ट्रीय सम्मान के रंगों में रंगे इस अयोजन को लेकर सुबह से ही यूनिवर्सिटी परिसर में राष्ट्रप्रेम की अविरल धारा बहती नजर आई। यूनिवर्सिटी के वाइस चेयरपर्सन डॉ. मोहित टांटिया, कार्यकारी निदेशक केएस सुखदेव और बॉर्डरमैन के फाउंडर डॉ. आरके अरोड़ा की देखरेख में हुए कार्यक्रम में जब भारत माता की जय के नारे गूंजे और अतिथियों ने अपने सेवाकाल के अनुभव सांझा किए तो ऑडिटोरियम में बैठे लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
डॉ. मोहित टांटिया ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कीर्तिचक्र से अलंकृत बीएसएफ के सेवानिवृत्त उपमहानिरीक्षक एनएनडी दुबे का देश सेवा में योगदान वाकई सराहनीय है। उन्होंने खुद पर गोलियों की परवाह नहीं करते हुए आततायी का अंत किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान टांटिया समूूह की सेवाओं का स्मरण करते हुए कहा कि संस्थान के स्टाफ ने युद्ध के हालातों वाले विकट समय में बेहतरीन सेवाएं दीं।
बीएसएफ की जोधपुर रेंज के आइजी एमएल गर्ग ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ ने दिखा दिया कि हम दुश्मन की किसी भी हरकत का माकूल जवाब देने की ताकत रखते हैं। हमने दुश्मन के उन ठिकानों को टारगेट किया, जिसके बारे में उसनेे सोचा भी नहीं था।
डॉ. आरके अरोड़ा ने कहा कि किसी भी देश की सीमा उसकी नब्ज होती है और इसे नियंत्रित करने के लिए हमारे जवान हर समय सीमा पर तैनात रहते हैं। उन्होंने श्रीगंगानगर में सेवाकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रीगंगानगर सीमा के लोग बीएसएफ के बेहतरीन सहयोगी हैं। उन्होंने कहा कि बॉर्डरमैन, टांटिया समूह और बीएसएफ एक ऐसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत करें जो भविष्य में इस इलाके के लिए मिसाल बनें।
बीएसएफ के सेवानिवृत्त अतिरिक्त महानिदेशक एसके सूद ने कहा कि देशभक्ति के लिए जरूरी नहीं कि व्यक्ति वर्दी में ही हो। वह नर्सिंग सेवा या अपने लिए निर्धारित किसी भी दायित्व का अच्छी तरह से निर्वहन करके भी देशभक्त कहला सकता है।
कीर्तिचक्र से अलंकृत बीएसएफ के सेवानिवृत्त उपमहानिरीक्षक एनएनडी दुबे ने कहा कि सीमा क्षेत्र के लोग इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अगर सीमा पर कुछ भी हरकत हुई तो पहली सूचना सीमावर्ती लोग ही देंगे। सीमा पर बैठे लोगों की अपनी समस्याएं रहती हैं लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन लोगों ने राष्ट्रसेवा में अपना पूर्ण योगदान दिया।
जयपुर के एमएनआईटी की प्रोफेसर मंजू सिंह ने कहा कि सीमावर्ती इलाके के लोग बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। बीएसएफ और सीमावर्ती लोगों के बीच दो तरफा बातचीत होनी चाहिए। उनके बीच ऐसा समन्वय हो जिससे वे अपनी बात बीएसएफ तक और बीएसएफ आमजन तक अपनी बात पहुंचा सके।
डीएसपी वेदप्रकाश लखोटिया ने कहा कि श्रीगंगानगर के लोगों में देशभक्ति का जज्बा है। भले ही युद्धकाल में ये संकट झेलें लेकिन हमेशा सेना के साथ खड़े रहे हैं। डॉ. ओमप्रकाश भदरेचा ने भी अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम में पत्रकार सुनील सिहाग, बृजमोहन बंसल, ओम सुथार एवं गुरप्रीतसिंह को ?सीमांत रक्षक सम्मान? प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर सीए निशित अग्रवाल, अंशुल सिंगला, बीएसएफ के डीआईजी (इंटेलिजेंस) धनंजय कुमार मिश्रा, कमांडंेट अरुण कुमार दहिया, डिप्टी कमांडेंट आरएस राठौड़, जन सेवा हॉस्पिटल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रो. बलजीत कुलड़िया सहित विभिन्न संस्थाओं से जुड़े पदाधिकारी सहित काफी जने मौजूद थे। जन सेवा हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. एचएस बिंद्रा ने आभार जताया। इस मौके पर अतिथियों एवं जनरल मैनेजर डॉ. विकास सचदेवा, एजीएम (डवलेपमेंट) डॉ. अर्शिया सेतिया ने अंगदान सप्ताह का समापन पोस्टर विमोचन से किया। पोस्टर पर ?अंगदान कार्य महान, मिलता कुछ को जीवनदान? अंकित है। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने स्वागत और देशभक्ति गीत तथा नृत्य प्रस्तुत किए। संचालन आयोजन सचिव राजकुमार जैन और डॉ. ज्योति धमीजा ने किया।