जिस बीमारी के साथ पैदा हुए, उसी के एक्सपर्ट बनकर कर रहे हैं लोगों का इलाज

?जिस बीमारी के साथ पैदा हुए, उसी के एक्सपर्ट बनकर कर रहे हैं लोगों का इलाज?

� �डॉ. हरी सिंह मीणा की प्रेरणादायक यात्रा

कभी-कभी ईश्वर हमारे जीवन की शुरुआत एक कठिनाई से करता है ? ताकि हम आगे चलकर दूसरों के लिए रास्ता बना सकें।
यह कहानी है डॉ. हरी सिंह मीणा की, जिनका बचपन एक शारीरिक चुनौती के साथ शुरू हुआ, लेकिन आज वे उसी रोग के विशेषज्ञ हैं ? और अपनी पहल ?Doctor on Door? के ज़रिए ग्रामीण भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था को एक नई दिशा दे रहे हैं।

�बचपन की चुनौती: CTEV यानी Club Foot

डॉ. हरी सिंह सवाई माधोपुर ज़िले के बोंली कस्बे के कोड्याई गाँव के रहने वाले हैं ये जन्म CTEV (Congenital Talipes Equinovarus) जैसी दुर्लभ स्थिति के साथ हुआ था, जिसे आम भाषा में क्लब फुट कहा जाता है। इस स्थिति में पैरों की संरचना जन्म से ही टेढ़ी होती है, जिससे चलने-फिरने में कठिनाई आती है।

लेकिन यह समस्या उनके आत्मबल को कभी तोड़ नहीं सकी।

� शिक्षा की नींव: विद्या भवन उदयपुर से बाल विद्यालय तक

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा विद्या भवन स्कूल, उदयपुर और बाल विद्यालय से प्राप्त की। यह संस्थान न केवल शिक्षा का माध्यम बने, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी आकार देने वाले स्थान साबित हुए। वहीं से उनके भीतर सेवा और समाज के लिए कुछ कर दिखाने की भावना जगी।

� डॉक्टर बनने का संकल्प

अपने ही जैसे बच्चों और मरीजों की तकलीफों को करीब से समझने के कारण, डॉ. हरी सिंह ने तय किया कि वे चिकित्सा के क्षेत्र में जाएंगे ?
MBBS की पढ़ाई उन्होंने Jodhpur Medical College से की और फिर PGIMS Rohtak (हरियाणा) से ऑर्थोपेडिक सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल की।
यह वही क्षेत्र था जिससे उनका निजी संघर्ष शुरू हुआ था ? और अब वे उसी क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं।

� ?Doctor on Door? ? ग्रामीण भारत की सेवा में समर्पित

आज डॉ. हरी सिंह सिर्फ एक ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ नहीं हैं, बल्कि एक मिशन पर काम कर रहे हैं। उनकी ?Doctor on Door? पहल के ज़रिए वह पश्चिमी राजस्थान और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर मरीजों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराते हैं।
वे उन लोगों तक इलाज पहुंचाते हैं, जो या तो शहरों तक नहीं आ सकते या फिर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।

� संदेश जो पूरे भारत के लिए है

डॉ. हरी सिंह की कहानी सिर्फ एक डॉक्टर की नहीं है ? यह उस जज़्बे की कहानी है, जो कहता है:

?कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाओ। जिस दर्द से गुज़रे हो, वही तुम्हारी दिशा तय कर सकता है।?

आज वे सैकड़ों-हज़ारों ग्रामीणों के लिए आशा का दूसरा नाम बन चुके हैं। उनका जीवन यह सिद्ध करता है कि अगर इरादे नेक हों, तो परिस्थितियाँ रास्ता नहीं रोक सकतीं ? बल्कि रास्ता बना देती हैं।

सैल्यूट है ऐसे डॉक्टर को, जिन्होंने अपने संघर्ष को सेवा में बदल दिया।
जो एक मरीज से डॉक्टर बने, और अब समाज के लिए मसीहा बन चुके हैं।

डॉ. हरिसिंह मीणा ? समाज सेवा का नया चेहरा, युवा पीढ़ी के लिए बने प्रेरणा का स्तंभ!

�डॉक्टर ऑन डोर के संस्थापक, हर शब्द में झलकता है अनुभव, हर काम में दिखती है समाज सेवा की गहराई!

�डॉ. हरिसिंह मीणा का कहना:
"आपका नेटवर्क उतना ही मजबूत होता है जितना लोग आपको वैल्यू देते हैं, बाकी रिश्ते आपसी लेन-देन पर आधारित होते हैं।"
? यह विचार आज युवाओं के लिए बन गया है सोच बदलने का मंत्र!

�हर दिन मरीजों के लिए सेवा, हर पल समाज के लिए समर्पण!
� सोशल मीडिया पर लोग दे रहे हैं जबरदस्त प्रतिक्रियाएं
� "जुनून और ज़ज़्बा लाजवाब के साथ सामाजिक सरोकार"

� डॉ. मीणा का संकल्प ? न केवल बीमारियों का इलाज, बल्कि समाज की सोच और दिशा का भी उपचार!