इसे कहते हैं पंचायती राज, कंपनियों ने टेके घुटने,एक माह के भीतर सुधरेगी सड़क

रायगढ़ गेरवानी छत्तीसगढ़। पूँजीपथरा क्षेत्र में ग्रामीण सड़कों की हालत दिन ब दिन बद से बदतर होती चली जा रही है किन्तु मरम्मत को लेकर कोई गंभीर नहीं है सिवाय ग्रामवासियों की। यही वजह है कि ग्रामीणों को मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ता है और धरना प्रदर्शन व सड़क जाम कर जिम्मेदारों को कुम्भकर्णी नींद से जगाना पड़ता है। ऐसी ही एक तस्वीर ग्राम पंचायत लाखा में देखने को मिली, जहाँ क्षेत्र के जन-प्रतिनिधियों सहित ग्राम लाखा व चिराईपानी के आक्रोशित ग्रामीण महिलाएं और पुरुषों ने भारी वाहनों को रोक कर आर्थिक नाकेबंदी कर दी। अंततः दस घंटे के बाद प्रशासन ने सुधि ली और कंपनी प्रबंधन तथा आंदोलित ग्रामीण व जन-प्रतिनिधियों के बीच समन्वय स्थापित कर एक माह में सड़क मरम्मत पूर्ण करने लिखित आश्वासन पर धरना प्रदर्शन को समाप्त कराया।

बता दें कि ग्राम चिराईपानी से गेरवानी जाने के लिए कच्ची सड़क पूर्व से निर्मित है। इस क्षेत्र में श्री ओम रुपेश, वजरान, सुनील इस्पात एंड पॉवर लिमिटेड, सालासर स्टील एंड पॉवर, महालक्ष्मी कास्टिंग, श्री रीयल वायर, श्याम ज्योति प्रा. लिमिटेड, राधे गोविन्द केमिकल्स, आदिशक्ति सोप इंडस्ट्रीज आदि कई उद्योग स्थापित हैं जहाँ के भारी वाहनों का आवागमन इसी मार्ग से होता है। कच्ची सड़क और ऊपर से बारिश के मौसम ने इस सड़क को और बर्बाद कर दिया है, लेकिन इस सड़क को खराब करने वाले जिम्मेदार उद्योग प्रबंधन बनवाने के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जन-चौपाल में ग्राम वासियों द्वारा इस समस्या को रखा गया था जिसमें प्रशासन और पुलिस के समक्ष उपरोक्त सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सड़क के ठोस निर्माण के लिए सहमति दिया था किन्तु पूरे वर्ष बीत जाने के बाद भी सड़क की स्थिति न केवल बदहाल है, बल्कि बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं जिससे स्थानीय ग्राम वासियों और स्कूली बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह सात बजे से भारी वाहनों की आवाजाही पर ग्रामवासियों ने रोक लगा दी थी जिससे दोपहर होते-होते ट्रक-ट्रेलरों की लम्बी लाइन लग गयी। जब यह लाइन रायगढ़-घरघोड़ा मुख्यमार्ग तक बढ़ गयी तब कहीं जाकर प्रशासन की सिंहासन डोली और शाम पाँच बजे अतिरिक्त तहसीलदार धरना स्थल पहुँचीं और लोगों की समस्याओं से रूबरू हुईं। बता दें कि कंपनी का कोई भी बन्दा मौके पर मौजूद नहीं था, आखिरकार सभी को फोन कर बुलाया गया, तब कहीं जाकर उनके प्रतिनिधि पहुँचे। चर्चा पश्चात् एक माह में जर्जर सड़क को पूर्ण मरम्मत करने का लिखित आश्वासन दिया गया, तब कहीं जाकर ग्रामीणों ने चक्काजाम समाप्त किया। फिलहाल, लिखित आश्वासन पर यह आंदोलन शाम 6 बजे समाप्त कर दिया गया है और भारी वाहनों का आवागमन पुनः शुरू हो गया है। चूँकि पिछले जन-चौपाल में मौखिक आश्वासन का झुनझुना थमा दिया गया था और अब लिखित में आश्वासन दिया गया है, देखना दिलचस्प होगा कि इस बार वास्तव में सड़क बनेगा या फिर कहीं यह भी लॉलीपॉप तो साबित नहीं हो जायगा ?

वैसे ग्रामीण जनता को आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि ग्राम लाखा की नयी पंचायत में जागरूक, शिक्षित, न्यायप्रिय, जुझारू और युवा प्रतिनिधि हैं जो जनहित के लिए समर्पित हैं।