*गहला में 12 घंटे से कुएं में फंसी गाय को जलेसर तहसीलदार के नेतृत्व में सुरक्षित बाहर निकाला।*

*गहला में 12 घंटे से कुएं में फंसी गाय को जलेसर तहसीलदार के नेतृत्व में सुरक्षित बाहर निकाला।*

*एटा/जलेसर: तहसील* क्षेत्र अंतर्गत थाना क्षेत्र *सकरौली* के *गांव गहला* में *एक गाय 12 घंटे* तक *गहरे कुएं* में *फंसी* रही। *ग्रामीणों* की *सूचना* पर *जलेसर तहसील प्रशासन* सक्रिय हुआ और *एसडीएम जलेसर भावना विमल* के *निर्देश* पर *नवागत तहसीलदार जलेसर नीरज वार्ष्णेय* के *नेतृत्व* में *रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।*

*सूत्रों* से मिली *जानकारी* के मुताबिक, बीते *शुक्रवार* की देर रात *अंधेरे* में चरते समय एक गाय अचानक *पुराने खुले कुएं* में गिर गई। सुबह होते ही *ग्रामीणों* ने जब *गाय* की आवाजें सुनीं तो मौके पर पहुंचकर देखा कि वह कुएं में *फंसी* हुई है।

वही ग्रामीणों ने तुरंत *स्थानीय प्रशासन को सूचना* दी। *जिसके बाद* जलेसर *तहसीलदार* नीरज वार्ष्णेय ने *क्रेन* की *मदद* से *रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू* कराया। रस्सियों, क्रेन और स्थानीय *लोगों की मदद* से *गाय* को *सुरक्षित बाहर निकाला गया।*

वही *ग्रामीणों* ने *जलेसर तहसील प्रशासन* की *तत्परता* और *एसडीएम जलेसर भावना विमल* की *गौवंश* के प्रति *संवेदनशीलता* एवम् *तहसीलदार जलेसर नीरज वार्ष्णेय* के *प्रयास* की *सराहना* की है।

*गांव गहला* के *बुजुर्ग नरेंद्र सिंह जादौन ने कहा,* ?अगर समय रहते *तहसील प्रशासन* द्वारा भेजी गई *क्रेन* नही आती तो *गाय* जान नहीं बचती। हम सभी ग्रामीण *जलेसर* की *एसडीएम साहिबा* एवं *तहसीलदार साहब* और उनकी *टीम* के *आभारी हैं।*

वही *यह घटना* न केवल *प्रशासन* की *सक्रियता* का *उदाहरण* है, *बल्कि पशुओं* के *प्रति संवेदनशीलता* की *मिसाल भी पेश करती है।*

*रिपोर्ट: रमेश जादौन एटा।*