स्वरांजलि:कार्यक्रम के तहत शास्त्रीय संगीत की गूंज से गूंजा ऊंचाहार

ऊंचाहार,रायबरेली।चिन्मय विद्यालय एनटीपीसी के तत्वावधान में आयोजित स्वरांजलि सांगीतिक संध्या ने ऊंचाहार वासियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुरमयी धारा में सराबोर कर दिया।यह आयोजन संगीत और संस्कृति के सजीव संगम का प्रतीक बन गया।जहाँ परंपरा,भाव और सौंदर्य का अद्वितीय समागम देखने को मिला।कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहे बनारस घराने से संबंध रखने वाले सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक श्री सौरभ प्रसाद बनौधा जो सुप्रसिद्ध निरंजन प्रसाद जी पुत्र और शिष्य है।जिन्होंने अपने बांसुरी वादन से सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया।उनकी बांसुरी से निकले सुरों ने श्रोताओं को जैसे समय से परे किसी दिव्य अनुभूति में पहुँचा दिया।बांसुरी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्राचीन और आध्यात्मिक वाद्य यंत्र है।जिसे भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय साधना के रूप में जाना जाता है।यह वाद्य न केवल संगीत का माध्यम है।बल्कि यह आत्मा के भावों को स्वर रूप में प्रकट करने का सशक्त उपकरण भी है।जब रागों की ध्वनि इस वाद्य से निकलती है।तो वह मन को शांति,सुकून और आध्यात्मिकता की ऊँचाइयों तक ले जाती है।श्री सौरभ प्रसाद के वादन ने इस परंपरा को आधुनिक मंच पर जीवंत किया।उनके साथ-साथ श्री प्रवीन मिश्रा (बनारस घराना) की शास्त्रीय गायकी ने भी भावविभोर कर दिया।वहीं श्री आदित्य मिश्रा(बनारस घराना)की तबला संगत ने प्रस्तुतियों को एक नई ऊँचाई प्रदान की।इस त्रिवेणी संगम ने उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया और सभागार तालियों की गूंज से भर उठा।"मेल्टेड रोटिस्क" नामक एक विशेष प्रस्तुति मासी वाद्य यंत्रों के साथ आधुनिकता और परंपरा के समन्वय का एक सुंदर उदाहरण बनी।इस नवाचार ने दर्शकों को एक नई सांगीतिक अनुभूति प्रदान की। स्वरांजलि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एचओपी एनटीपीसी श्री अभय कुमार श्रीवास्तव,विशिष्ट अतिथि गण श्रीमती अनुपमा श्रीवास्तव अध्यक्ष पी.डी.एल.सी.एनटीपीसी,श्रीमती उर्मिला,श्रीमती हर्लिन कौर,ए.जी.एम.(एच.आर.),श्री विनायक, डी.जी.एम. (एच.आर.),श्री अजय त्रिपाठी डी.सी. सी.आई.एस.एफ,श्री आलोक वर्मा, चेयरमैन चिन्मय मिशन दिल्ली,श्री अनिल सग्गर सचिव चिन्मय मिशन दिल्ली,श्री मनीष कुमार स्वामी प्राचार्य चिन्मय विद्यालय,श्री नरेंद्र सिंह उपप्राधानाचार्य चिन्मय विद्यालय सांस्कृतिक संध्या में विद्यालय के सभी शिक्षक,अभिभावक एवं गणमान्य नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन की शोभा बढ़ाई। सभी अतिथियों ने विद्यालय के इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति की जड़ों से जोड़ने में सहायक होते हैं।"स्वरांजलि" केवल एक कार्यक्रम नहीं था।यह एक संगीतमय यात्रा थी?जिसमें सुर,लय और भावों का अद्भुत संगम देखने को मिला।इस आयोजन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की अमूल्य विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।