अवैध खनन पर कार्रवाई या सिर्फ दिखावा? 34 ट्रैक्टर, 7 बाइक ज़ब्त, 37 हिरासत में; बड़े खनन माफिया अब भी आज़ाद

जनपद बिजनौर के नगीना देहात थाना क्षेत्र में पुलिस और प्रशासन ने अवैध खनन के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई करते हुए 34 ट्रैक्टर, 7 बाइक को ज़ब्त किया और 37 लोगों को हिरासत में लिया है। कार्रवाई फाजलपुर पहाड़ा मोटी शीशम क्षेत्र में की गई, जहां खनन माफिया आपस में ही भिड़ गए थे। झगड़े की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और ताबड़तोड़ दबिश देकर यह कार्रवाई की।

यह पहली बार नहीं है जब नगीना क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। वर्षों से इस इलाके में बड़े पैमाने पर रेत और मिट्टी का अवैध दोहन जारी है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी कार्रवाई सिर्फ 'छोटी मछलियों' पर ही केंद्रित रही। खनन में प्रयुक्त जेसीबी मशीनें, ट्रक और डंपर कहीं नज़र नहीं आए ? न ही उन 'बड़े माफियाओं' पर कोई ठोस कार्रवाई हुई, जिनके संरक्षण में यह सारा कारोबार फल-फूल रहा है।

स्थानीय सूत्रों की मानें तो अवैध खनन के पीछे खनन विभाग की मिलीभगत वर्षों से जारी है। विभाग तब ही सक्रिय होता है जब मामला सतह पर आता है या शिकायत होती है। कार्रवाई का परिणाम अक्सर जुर्माने या वाहनों की औपचारिक ज़ब्ती तक ही सीमित रहता है, जिसके बाद माफिया फिर से धंधा शुरू कर देते हैं।

प्रशासनिक हलकों में एक गंभीर सवाल यह भी उठ रहा है ? अगर खनन माफिया आपस में न भिड़ते, तो क्या पुलिस यह कार्रवाई करती? या फिर मामला यूं ही दबा रह जाता, जैसा अक्सर होता आया है?

एनजीटी के दिशानिर्देशों और पर्यावरण नियमों की खुली धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। नदियों के पेट से रेत खींची जा रही है, लेकिन जब तक कार्रवाई 'ऊपर' से न हो, तब तक नीचे के स्तर पर की गई कार्रवाइयाँ महज़ दिखावा बनकर रह जाती हैं।

जिला प्रशासन को चाहिए कि वह सिर्फ ट्रैक्टर या बैलगाड़ी जब्त करने से इतिश्री न करे, बल्कि खनन के असली सरगनाओं पर शिकंजा कसे, जो जेसीबी और डंपर के ज़रिए पूरे नदी क्षेत्र का सीना छलनी कर रहे हैं।

क्या आने वाले दिनों में प्रशासन इन 'बड़ी मछलियों' पर भी हाथ डालेगा या फिर यह कार्रवाई भी बाकी कार्रवाइयों की तरह मीडिया सुर्खियों तक सीमित रह जाएगी ? यही देखना बाकी है।
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