स्थानांतरण आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अलीनगर थाने का दीवान, विभागीय नीति की परीक्षा।

चंदौली।पुलिस विभाग में कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त बनाने के उद्देश्य से पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे थाने पर और एक जनपद से दूसरे जनपद में होता रहा है जो एक सरकारी सेवा प्रक्रिया के तहत होता है इसी क्रम में जनपद में पुलिस अधिक्षक ने तबादला एक्सप्रेस चलाते हुए एक अगस्त को जनपद के विभिन्न थानों पर तैनात पुलिस कर्मियों के ट्रांसफर के आदेश जारी किए। इन आदेशों के तहत कई पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण चंदौली जनपद से गैर जनपदों में किया गया ।उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के नियमों के अनुसार, एक दीवान या सिपाही एक ही थाने पर अधिकतम तीन वर्षों तक तैनात रह सकता है,

जिसके बाद उसे स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह नियम थानों में कामकाजी माहौल में बदलाव और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए है।पर अलीनगर थाने में तैनात एक दीवान ने अपने स्थानांतरण आदेश के बावजूद वहां बने रहने की जिद पर अड़े हुए हैं। अलीनगर थाने को जनपद में पुलिस विभाग के भीतर "मलाईदार" थानों में गिना जाता है, जहां तैनात कर्मियों की इच्छा अधिक होती है। इस स्थिति ने विभागीय कार्यप्रणाली के लिए चुनौती उत्पन्न कर दी है और ट्रांसफर नीति की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा कर दिया है।

ऐसे में विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है और यह मामला अब पुलिस विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, जिसे जल्द से जल्द हल किए जाने की आवश्यकता है।