मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुवा पर आया जिला पीलीभीत का नाम,बाघ मित्रों की सराहना की।बाघ दिवस पर पीलीभीत डीएफओ मनीष सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी।

मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुवा पर आया पीलीभीत का नाम,बाघ मित्रों की सराहना की।
बाघ दिवस पर पीलीभीत डीएफओ मनीष सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी।

राजेश गुप्ता संवाददाता पीलीभीत।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के द्वारा मन की बात में जिला पीलीभीत का जिक्र किया गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा बाघ दिवस के अवसर पर पीलीभीत जनपद के बाघ मित्रों की जमकर सराहना की है।आज इसी के चलते पीलीभीत डीएफओ मनीष सिंह के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है।प्रेस कांफ्रेंस में डीएफओ मनीष सिंह ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का धन्यवाद किया है इसके उपरांत डीएफओ मनीष सिंह के द्वारा बताया गया है बाघ मित्र ऐप का शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा हो गया है,इस ऐप के जरिए हर गतिविधि का पता चल जाएगा।बाघ मित्र बहुत ही महत्वपूर्ण है और यह अपनी स्वेच्छा से बगैर मानदेय के कार्य करते हैं।जब भी कोई जानवर जंगल के बाहर आ जाता है तो यह बाघ मित्र वन विभाग को सूचित करते हैं,तथा वन विभाग के कार्यों में सहयोग प्रदान करते हैं।
बाघ मित्रों के द्वारा जन सामान्य में सामंजस्य बना रहता है।वही जनपद में बाघों की संख्या के बारे में डीएफओ मनीष सिंह बताते हैं कि 2022 की गणना के अनुसार 71 बाघ की गणना की गई है।
आपको बताते चलें उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ के संरक्षण और मानव के साथ उसके बढ़ते टकराव को कम करने के लिए अनूठी पहल की गई है। रिजर्व में बाघ मित्र मोबाइल एप का प्रयोग आरंभ किया गया है। संचार तकनीक के इस प्रयोग से बाघों के आवागमन की सूचना तत्काल वन विभाग के कर्मियों और अधिकारियों को मिलती है।वन विभाग के अधिकारियों द्वारा टाइगर रिजर्व के समीप बसे गांव या जहां पर टाइगर रिजर्व से निकलने वाले जीव जंतुओं का मूवमेंट होता है वहां के स्थानीय ग्रामीणों को एक ग्राम में दो ग्रामीणों को विभाग बाघ मित्र नियुक्त करते हैं।बाघमित्र का काम यह होता है अगर टाइगर रिजर्व के जंगल से कोई भी जीव जंतु का अगर उनके गांव या गांव के आसपास मूवमेंट होता है तब उनको उसे जानवर की फोटो खींचकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व द्वारा व्हाट्सएप पर संचालित ग्रुप में शेयर करना होता है,जिससे कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व से संबंधित सभी अधिकारियों कर्मचारियों को सूचना मिल जाती है और तत्काल रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच जाती है।बाघ मित्र द्वारा जब किसी जानवर का रेस्क्यू किया जाता है तब रेस्क्यू की तैयारी बाघ मित्र करते हैं तथा ग्रामीणों की भीड़ को नियंत्रित करने का भी काम बाघ मित्रों द्वारा ही किया जाता है बाघ मित्रों की जिम्मेदारी केवल जिस गांव के निवासी हैं,वहीं की रहती है उनको टाइगर रिजर्व के जंगलों में नहीं ले जाया जाता है।बाघ मित्र नियुक्त करने से पहले उनको प्रशिक्षण भी दिया जाता है।बाघ मित्र द्वारा अपनी मर्जी से वन विभाग की टीम का सहयोग किया जाता है जिसका इनको कोई भी मानदेय नहीं दिया जाता है तथा बाघ मित्रों द्वारा अपने निश्चित ग्रामों में ग्रामीणों के साथ बैठक कर वन क्षेत्र के क्या फायदे हैं और जो जंगली जानवर हैं उनसे क्या फायदे होते हैं इनके बारे में ग्रामीण के साथ बैठकर वार्ता करते हैं और उनको समझाते हैं।