कानपुर-हाथरस काण्ड के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई आप बीती.....

कानपुर-हाथरस काण्ड के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई आप बीती

:-बोले- हम बीस मीटर दूर थे इसलिए बच गए.....

कानपुर के बिधनू से हाथरस में साकार विश्व हरि का सत्संग सुनने गए 70 लोग देर रात वापस आ गए। वहां से लौटे सभी लोग अभी भी सहमे हुए है। सभी सत्संग के बाद हुई भगदड़ के प्रत्यक्षदर्शी है। उन्होंने बताया कि वहां मंजर भयावह था। पंडाल में हर तरफ चीख पुकार मची हुई थी।
हाथरस कांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे बिधनू के कठूई गांव के रामू ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। उन्होंने बताया- आसपास के लगभग 5 गांव के लोग भोले बाबा से जुड़े हुए है। बीते दिनों लगभग 70 लोग एक बस से हाथरस में आयोजित सत्संग स्थल में गए थे।
कठूई गांव के रामू हाथरस के सत्संग में शामिल होने गए थे। रामू ने बताया कि वहां इंतजाम पर्याप्त नहीं थे। एक दिन पहले बारिश होने से पंडाल स्थल पर कीचड़ हो गया था। लगभग 12 बजे सत्संग स्थल पर साकार विश्वहरि उर्फ भोले बाबा पहुंचे। प्रवचन के बाद उन्होंने आरती का ऐलान कर दिया। इधर आरती हो रही थी, उधर पंडाल के पीछे खड़े लोग रंगीली की राजधूल लेने को भागे। इस दौरान वहां पर अचानक भगदड़ मच गई।
उन्होंने बताया, सड़क के किनारे नाला जैसा खुदा हुआ था। जिसमें कीचड़ था। कई लोग उसी में गिर गए और लोग ऊपर से निकल रहे थे। उनकी आंखों के सामने एक 6 साल का बच्चा कीचड़ में गिर गया। जब तक वह उसे उठाने को जाते, तब तक कई लोग उसके ऊपर से निकल गए। जिससे बच्चे की मौत हो गई। रामू ने बताया- अगर वह थोड़ा और आगे बैठे होते तो वह भी मर जाते। 20 मीटर दूर थे, इसलिए बच गए।
बीए सेकेंड ईयर की छात्रा विनीता भी सत्संग में शामिल होने गई थी। विनीता ने बताया कि उसके सिर पर दर्द रहता था। कई डॉक्टरों को दिखाया पर आराम नहीं मिला। इस दौरान पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने सत्संग से वापस आकर वहां पर मिलने वाला पानी दिया। रोजाना दो बार दिन में पानी सिर पर लगाने को बोला। जिससे उसे आराम मिला। तब से वह बाबा की शरण में है। बाबा को परमात्मा मानती है।
कठूई गांव की पूर्व प्रधान पूनम कुशवाहा पहली बार हाथरस में आयोजित सत्संग में पहुंची थी। उन्होंने भगदड़ में कई लोगों की मौत का मंजर देखा। जिसके बाद से वह सदमे में हैं। पूनम के साथ गांव की और महिलाएं भी गई थी। वह महिलाएं आरती होते ही बस की ओर निकल आई थी। पूनम रंगोली की राजधूल लेने की वजह से रुकी हुई थी। लेकिन आरती खत्म होते ही भगदड़ मच गई। पूनम में पंडाल में लगी बल्ली को हाथ से पकड़ लिया। जिससे वह बच गई।
कठूई गांव के धर्मेद्र कुशवाहा ने बताया कि आरती हो रही थी। रंगोली की राजधूल लेने के लिए सड़क की ओर खड़े लोग अचानक पंडाल की ओर भागे। इस दौरान वहां पर लगे सेवादारों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। भीड़ बेकाबू हो गई। तभी वहां पर सड़क और पंडाल के बीच बने नाले में लोग गिरते चले गए। जो एक बार गिर गया, वह वापस नहीं उठा। उन्होंने अपनी आंखों के सामने लोगों को दम तोड़ते देखा है। वह घटनास्थल से महज 20 मीटर की दूरी पर थे।