ससुर की विरायत बचाने को बहू की जोर आजमाइश

सपा की डिंपल यादव को भाजपा, बसपा से मिल रहीं चुनौती

बसपा प्रत्याशी भी सेंधमारी के लिए एड़ी चोटी का लगा रहे जोर

पंकज शाक्य

मैनपुरी- यूपी की हॉट सीट कही जाने वाली मैनपुरी लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने अपने ससुर स्व. मुलायम सिंह यादव की विरासत बचाए रखने की चुनौती है। वहीं डिंपल को भाजपा और बसपा से भी चुनौती मिल रहीं है। मैनपुरी को मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि के नाम से जाना जाता है। मुलायम की यादें मैनपुरी की जनता के दिलों में बसी हुई है। उससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि हवा का रुख किधर रहेगा। सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को जहां भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह चुनौती दे रहे हैं, तो वहीं बसपा प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव भी सेंधमारी के लिए एड़ी- चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस पक्ष के मतदाता हों या उस पक्ष के, थोड़ी देर की बातचीत में ही बता देते हैं कि परिणाम क्या आने वाला है।

ज्ञात हो कि मैनपुरी सीट पर बर्ष 1996 से सपा का कब्जा है। सपा संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव खुद यहां से पांच बार जीतकर संसद पहुंचे थे। वर्ष 2022 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बहू डिंपल यादव 2.88 लाख से अधिक मतों से जीतीं। आखिर लगातार 28 साल से यह जादू कैसे चल रहा है?

एक्सप्रेस वे पर फर्राटा भरते वहां विकास की सुनते हैं गाथा- रामखिलाड़ी

इस सवाल पर भोगांव निवासी प्रवक्ता राम खिलाड़ी कहते हैं, इसकी वजहें तो यहां के नजारे खुद बता देते हैं। एक्सप्रेसवे से कनेक्टिवटी है। मैनपुरी-शिकोहाबाद रोड हो या इटावा-कुरावली मार्ग, फर्राटे भरते वाहन विकास की गाथा सुनाते हैं। राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, सैनिक स्कूल, गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, आईटीआई और पॉलीटेक्निक युवाओं के बेहतर कॅरियर के गवाह हैं। न सिर्फ मैनपुरी, बेवर और भोगांव बस स्टैंड, बल्कि गांव-गांव तक 5.5 मीटर चौड़ी सड़कें खुद-ब-खुद विकास के किस्से सुना रही हैं।

मैनपुरी में समाजवादी खेमे का विरोध

ऐसा नहीं है कि मैनपुरी में समाजवादी खेमे का विरोध नहीं है। भोगांव निवासी रामनाथ लोधी कहते हैं कि सपा सरकार आते ही यहां यादवों का आतंक बहुत बढ़ जाता है। इस लिहाज से फिलहाल अमन-चैन है। पास में मौजूद कुछ लोग उनकी हां में हां मिलाते हुए कहते हैं कि इस बार भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह भारी पड़ सकते हैं। वहीं बुजुर्ग उजागर सिंह अहीर उनसे इत्तफाक नहीं रखते। वह कहते हैं, उपचुनाव में डिंपल यादव भोगांव विधानसभा क्षेत्र से भी 25 हजार वोटों से जीती थीं, जबकि यहां से विधायक भाजपा के हैं। सबकी बात काटते हुए मेहरबान सिंह राजपूत बोल पड़ते हैं कि हम तो फूल के साथ हैं। सपा सरकार के समय का तमंचे का डर अभी भूले नहीं हैं। तब पुलिस बुलाने पर भी नहीं आती थी।

मैनपुरी का चुनाव हो रहा राष्ट्रीय मुद्दो पर

शहर के एक मोहल्ला निवासी श्रीदयाल मिश्रा कहते हैं कि यह चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर हो रहा है, इसलिए भाजपा आगे रहने वाली है। गीतापुरम के ठाकुर अनुपम सिंह बताते हैं कि हम तो भाजपा के साथ हैं। करहल विधानसभा क्षेत्र के घिरोर में चर्चा के दौरान व्यापारी मुकेश गर्ग कहते हैं कि यहां समाजवादियों ने विकास की इतनी बड़ी लकीर खींच दी है कि शायद ही किसी और को मौका मिले। हालांकि यशकांत और शिवम कहते हैं कि इस बार भाजपा प्रत्याशी भी काफी दमदारी से लड़ रहे है। भोगांव के रहने वाले हरिओम कहते हैं कि यह सरकार नौकरियां नहीं दे पा रही है। इसलिए बदलाव जरूरी है। सुमित गुप्ता का मानना है कि भाजपा के शासन में कम से कम चेन, रुपये और मोबाइल तो नहीं छिन रहे हैं। शिव शंकर कहते हैं कि जब रामपुर किसी का गढ़ नहीं रहा, तो मैनपुरी भी वैसे ही नतीजे दे सकता है।

इस बार भाजपा के पक्ष में रहेगी बयार

कटरा सामान चौराहे पर मिले सुरजीत सिंह बताते हैं कि हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार बयार भाजपा के पक्ष में रहेगी। रिंकू यादव कहते हैं कि जब तक यादव बहुल जसवंतनगर विधानसभा सीट मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में है, तब तक तो यहां से सपा को कोई नहीं हरा सकता। अरुण राघव और जयवीर सिंह कहते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के यहां आने से माहौल अच्छा हुआ है। परिणाम भाजपा के पक्ष में रहेगा।

मैनपुरी समर के योद्धा

डिंपल यादव, सपा

मजबूतीः यादव वोट बैंक पर सपा की मजबूत पकड़ और जसवंतनगर का मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में शामिल होना।

मुलायम की पुत्रवधू होने के चलते उनकी विरासत का फायदा मिलेगा।

कमजोरीः बसपा के शिवप्रसाद यादव को प्रत्याशी बनाने से यादव वोटबैंक में सेंध लग सकती है, हालांकि गुंजाइश कम है।

सपा सरकार में कानून-व्यवस्था के हाल को लेकर सपा को नुकसान हो सकता है।

जयवीर सिंह- भाजपा

मजबूतीः वर्तमान में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और पर्यटन विभाग से मंदिरों का कायाकल्प कराया।

ठाकुर जाति से आने के चलते ठाकुर वोटबैंक उनके पाले में है।

कमजोरीः ठाकुर जाति के प्रति ज्यादा झुकाव होने के चलते अन्य जातियों में विरोध है।

भाजपा अब तक शाक्य प्रत्याशी देती रही है, ऐसे में जयवीर सिंह के आने से शाक्य मतदाता नाराज हैं।

शिवप्रसाद यादव- बसपा

मजबूतीः 2014 के आम चुनाव के बाद बसपा ने प्रत्याशी उतारा है, ऐसे में बसपा का कोर वोटर एकजुट हो सकता है।

यादव वोटबैंक में भी सेंधमारी कर सकते हैं।

कमजोरीः औरैया जिले के रहने वाले हैं, जो मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नहीं है। इसलिए बाहरी होने का सवाल भी उठ रहा है।

मैनपुरी से लंबे समय से प्रत्याशी नहीं उतारने से बसपा का वोट बैंक खिसक गया है, उन्हें एकजुट करना बड़ी चुनौती है।