जिले में पशुओं के आहर रूप में उपयोग में लाए जाने वाले चारा, घास, भूसा जिले की राजस्व सीमा से बाहर निर्यात प्रतिबंधित।

राजगढ जिले में वर्तमान में रबी फसल की कटाई का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जिसके उपरांत चारे भूसे की उपलब्धता पशुधन के लिये उपब्धता बनाये रखना आवश्यक है। म.प्र. राज्य के जिलों को छोड़कर अन्य राज्यों के जिलों में भूसे के परिवहन तथा ईट भट्टों के ईंधन के रूप में चारे भूसे का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाना आवश्यक है। इस हेतु भूसे के परिवहन तथा ईंट भट्टों के ईधन के रूप में चारे भूसे का उपयोग पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है।उप संचालक पशु चिकित्सा के प्रतिवेदन एवं अन्य स्त्रोतों की जानकारी के आधार पर ग्रीष्मकाल में जिले में पशुधन के लिये चारे की उपलब्धता आवश्यक है। यदि जिला राजगढ की सीमा के बाहर जिले से पशु चारा निर्यात प्रतिबंधित नहीं किया जाता है तो जिले में पशुधन के लिये चारा की कमी होगी, तथा चारा के बाजार मूल्य में अधिक वृद्धि होना संभावित है। ऐसी स्थिति में पशुओं के चारे के बिना भूखे रहने की स्थिति निर्मित हो सकती है।कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री हर्ष दीक्षित द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पशुओं के आहार के रूप में उपयोग में लाने वाले समस्त प्रकार के चारे, घास, भूसा एवं पशुओं के द्वारा खाये जाने वाले अन्य किस्म के चारे पर जिला राजगढ़ की राजस्व सीमा के बाहर निर्यात पर प्रतिबंधित किया गया है।कोई भी कृषक, व्यापारी, व्यक्ति निर्यातक उपरोक्त क्रम में से किसी भी प्रकार के पशु चारे का किसी भी वाहन मोटर, रेल, यान, नाव अथवा पैदल जिले के बाहर मेरे बिना अनुज्ञा पत्र के निर्यात नहीं करेगा। शासकीय उपयोग के लिये भूसा एवं पशु चारे का परिवहन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की अनुमति से किया जाएगा। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के अंतर्गत यह आदेश एक पक्षीय रूप से पारित किया जाता है। आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित के विरूद्ध भादवि की धारा 188 के अंतर्गत वैद्यानिक /दाण्डिक कार्यवाही की जाएगी ।