ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की मीटिंग में उलेमा ने जारी किया मुस्लिम एजेंडा

जिला बरेली, उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में स्थित मशहूर दरगाह आला हज़रत के 3 दिवसिये उर्स ए रज़वी के मौके पर उलमा ने मुसलमानों के मुद्दों पर "मुस्लिम एजेण्डा" जारी किया, जिसमें देशभर के समाजिक, धार्मिक, और बुद्धिजीवियों ने शिरकत की आज उर्से आला हज़रत के पहले दिन ??इस्लामिक रिसर्च सेन्टर?? में उलेमा की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने की, इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से आये हुये उलेमा ने मुसलमानों के मसाइल पर विस्तार से चर्चा की और मुसलमानों, हुक़मतों, और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कामों का जायज़ा लेते हुए एक ??मुस्लिम एजेण्डा?? भी तैयार किया गया।मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने प्रेस काॅफ्रेंस में ??मुस्लिम एजेण्डा?? ज़ारी करते हुये मुसलमानों को हिदायत की है कि शिक्षा, बिज़नेस, और परिवार पर ध्यान दें और समाज में फैल रही बुराईयों पर रोकथाम करें,Tripel T के formule पर काम करें यानि तालीम व तिजारत और तरबियत। यही कामयाबी का अकेला रास्ता है। लड़कियों के लिए अलग से स्कूल व कॉलेज खोले, इस वक्त भारत की राजनीति बहुत खराब हो चुकी है इसलिए राजनीति में बहुत ज्यादा हिस्सा न लेकर दूरी बनाए। अन्यथा भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ेंगे। मौलाना ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को कड़े शब्दों में कहा की देश की एकता और अखण्डता के लिये मुसलमान हर कुर्बानी देने के लिये तैयार है, मगर हिन्दु और मुस्लिम के दरमियान नफरत फैलाने वाली राजनीति बरदाश्त नहीं की जा सकती है, और मुसलमानों के साथ ना इंसाफी और ज़ुल्म व ज़ियादती को भी ज़्यादा दिन तक हम सहन नहीं कर सकते, सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को इस पर गम्भीरता से काम करना होगा, और मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में बदलाव लाना होगा। केंद्र की मोदी सरकार ने "सबका साथ सबका विकास" और "सूफी विचारधारा" का नारा दिया था मगर ये दोनों नारे खोखले साबित हो गए, न मुसलमानों को साथ लिया गया और न ही सूफी विचारधारा को बढ़ाने का काम किया। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार में कांग्रेस ने अपने समय कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ाया, उत्तर प्रदेश में यही काम समाजवादी पार्टी ने किया। प्रधानमंत्री के दावों की खुद ही उनके लोगों ने हवा निकाल दी कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा सुफियो के मजारात को तोडा गया है।मौलाना ने सरकार और राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा में "पैग़म्बरे इस्लाम बिल" संसद में पास किया जाए , ताकि कोई भी व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम की शान में गुस्ताखी न कर सके। 2024 के लोकसभा चुनाव में जो पार्टियां बिल को पास करने पर सहमति जताएंगी मुसलमान उन्हीं को वोट देगा।बैठक में मुख्य रूप से इन उलेमा ने शिरकत की,, हाफिज नूर अहमद अजहरी ( राष्ट्रीय महासचिव) , ख़लीफ़ा मुफ़्ती आज़म हिन्द सूफी अब्दुलरहमान क़ादरी छत्तीसगढ़, सूफी पीर मोहम्मद हनीफ चिश्ती, मौलाना मज़हर इमाम बंगाल, मौलाना अब्दुस्सलाम रजवी कर्नाटक, मौलाना रिज़वानुलहक तामिलनाडू, मुफ्ती शाकिरूल का़दरी राजस्थान, मुफ्ती फारूख आलम रजवी पंजाब,कारी अब्दुर रहमान जियाई मुम्बई, डाक्टर सय्यद अशरफ कादरी उत्तराखंड, इंजिनियर सुजाअत अली कादरी(MSO ) मौलाना फारूख बरकाती देहली, मौलाना नज़ीर अहमद जम्मू कश्मीर, मौलाना फूल मोहम्मद नेमत रज़वी बिहार , कारी फारूख अशरफी झारखंड उत्तर प्रदेश से मुफ्ती सुल्तान रज़ा बहराइच, मौलाना आज़म अहशमती लखनऊ, हाजी नाज़िम बेग बरेली, मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलाना अशरफ बिलाली आदि उपस्थित रहे।