मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य सद्भक्ति करना है - सन्त रामपाल जी

धमतरी:- कुरूद के छत्तीसगढ़ महतारी मंदिर में रविवार को एलईडी टीवी के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का आयोजन किया गया था। जिसमें संत रामपाल जी महाराज द्वारा सभी पवित्र धर्मो के पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित करके बताया गया कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना है।

जैसा कि अभी तक आम जन मानस की यही धारणा बनी हुई है कि इस संसार में प्रत्येक जीव जन्म मरण के चक्र में हैं और संसार ऐसा ही चलता रहेगा। बस विवाह करा, संतानोत्पत्ति करके उसे पाल-पोष कर पढ़ाओ। उसके बाद बच्चों का विवाह कर दो फिर मानव जीवन धन्य हो जाता है। परंतु संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि ये सब तो पशु पक्षी भी करते हैं। मनुष्य जन्म प्राणी को सांसारिक कार्य के साथ-साथ पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने के लिए ही प्राप्त होता है। जिससे प्राणी जरा ( बुढ़ापा ) - मरण से सदा के लिए छुटकारा पाकर सनातन परम धाम को चला जाता है, फिर लौटकर संसार में नहीं आता है। संत रामपाल जी महाराज ने यह भी बताया कि मनमाने तरीके से या लोकवेद (सुनी सुनाई कथा) के आधार पर की जाने वाली भक्ति व्यर्थ है। जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में बताया गया है कि शास्त्र विधि को त्याग कर जो मनमाना आचरण यानि मनमानी पूजा करते हैं, उनको कोई लाभ नहीं होता। कौन सी साधना करनी चाहिए और कौन सी नहीं करनी चाहिए इसके लिए शास्त्र ही प्रमाण है। यानि शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने से ही प्राणी को सर्व लाभ तथा मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।