100 साल से भी अधिक पुराना बनखंडी महादेव मंदिर

इतिहास
कस्बा शमसाबाद से 8 किलोमीटर दूर स्थित नयावास गांव के बीहड़ में करीब 100 वर्ष से अधिक समय पूर्व गाय चराने वाले चारागाह जंगल में जाते थे l एक दिन जंगल में पिलुआ के पेड़ की कटाई के दौरान कुल्हाड़ी भोलेनाथ पिंडी में जा लगी l भोलेनाथ की पिंडी देख आसपास के लोगों ने चबूतरा बनवाया l उसके बाद फक्कड़ बाबा मंदिर पर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करते थे l बताया जाता है कि उसी स्थान पर बाद में शिवलिंग के लिए मंदिर बनाया गया तो शिवलिंग स्वत ही ऊपर की ओर बढ़ गया l मंदिर के आस-पास दो गुफाएं भी हैं l

कैसे पहुंचे बनखंडी महादेव मंदिर

कस्बा शमसाबाद से नयावास चौराहा मार्ग होकर वाहन सीधे बनखंडी महादेव मंदिर के लिए जाते हैं l शमसाबाद से बनखंडी महादेव मंदिर की दूरी करीब 8 किलोमीटर है l

मनोकामनाएं होती है पूरी
नयावास बीहड़ में स्थित बनखंडी महादेव मंदिर में जो भक्त मन से पूजा अर्चना कर मन्नत मांगता है , तो वह भोलेनाथ के दर से खाली हाथ नहीं लौटता l उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है , ऐसी इस मंदिर की मान्यता है l

तैयारियां
सावन के महीने में हर सोमवार को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है l यूपी के साथ-साथ राजस्थान , एमपी सीमा से सटे गांव के लोग भी यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं l यहां मेले में शिवपूजन के सामान से दुकानें सजी रहती हैं l इसके अलावा पूजा-अर्चना करने वाले भक्त बीहड़ का भी आनंद उठाते हैं l


मंदिर पर पूजा अर्चना करने वाले पुजारी शंकर पुरी बताते हैं कि बनखंडी महादेव मंदिर 100 साल से भी अधिक पुराना है l यहां पर आसपास चारों ओर बीहड़ है l वैसे तो हर दिन पूजा-अर्चना करने के लिए भक्त आते हैं , लेकिन सावन के महीने में दूरदराज से भक्त पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं l

क्षेत्र निवासी पवन अग्रवाल बताते हैं कि यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं l वनखंडी महादेव मंदिर की काफी मान्यता है l यहां के चारों ओर का वातावरण काफी अच्छा है l