स्वार्थ लाय कारें सब पीरिती,टिकट न मिलै पार्टी से तो चुनाव कैसे जीती

रायबरेली।पुरानी एक कहावत थी कि गिरगिट को रंग बदलने में समय नहीं लगता,वर्तमान समय में कुछ प्रत्याशियों द्वारा इसे चरितार्थ भी किया है।नगर निकाय का चुनाव शुरू है,सभी प्रत्याशी अपनी जोर आजमाइश कर रहे।हालांकि ये तो समय ही तय करेगा की जीत का सेहरा किसके सिर पर सजेगा।लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ी बात ये है की कुछ प्रत्याशियों ने अपने स्वार्थ वश उन पार्टियों का दामन छोड़ दिया,जिसे वह कई वर्षों से खाद पानी दे रहे थे और पार्टी भी उन्हें दे रही थी।कहने का मतलब एक दूसरे के पूरक थे।नगर निकाय चुनाव में उनकी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी घोषित नहीं किया,तो रूठ गए और पाला ही बदल डाला।गौर करने वाली तो बात यह है कि जिस पार्टी से उन्होंने पाला बदला है उस पार्टी का प्रत्याशी अगर जीत का सेहरा मिलता है वह किस प्रकार उससे मिलेंगे और अगर नही जीतता तो पाला बदलने वाले प्रत्याशियों का कद पूर्व की पार्टी में बना रहेगा,क्योंकि पार्टी को भी एहसास होगा प्रत्याशी घोषित करने में जल्द बाजी कर दी।अगर पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी जीत जाता है तो घोषित करने का सही परिणाम मिल जाएगा।फिलहाल यह सब वक्त पर छोड़ते है,क्योंकि समय बहुत बलवान है,जिसे राजतिलक लगना है।उसे ऊपर वाले ने पहले तय कर दिया,लेकिन कर्म करना अपना काम है।परिणाम जो होगा वह बाद की बात है।फिलहाल दलीय और निर्दलीय कर्म करते रहे,जनसंपर्क में कोई कमी न रहे,शासन द्वारा लगाए गए आचार संहिता का पूर्णतया पालन करते हुए चुनाव में प्रचार करें।