महाशिवरात्रि पर्व विशेष में शिवशंकर श्रीवास्तव की कविता

कविता-शिवत्व
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सृष्टि में शिव
का आधार है,
गंगा, चन्द्र, कंठ में
विषधार है।

दृश्य त्रिनेत्र में
त्रिलोक है,
हाथ डमरू वाद्य
जिनका शंखनाद है।

ज्वालामुखी तांडव,
नृत्य में सार है,
शंकर त्रिशूल में
सूत्राधार
तन भभूत,
मन पूजक है।

लोक-परलोक में भव सागर,
प्रेम अर्पित जल
बेल, पत्तियाँ, फूल है।
-शिवशंकर श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़