रूढ़िवाद के खिलाफ लोगों को जगाया कबीर जी ने : रत्नावली

संत कबीर सत्संग समागम समारोह में मुख्य अतिथि अजा विकास प्राधिकरण सदस्य रत्नावली कौशल शामिल हुईं
मुंगेली--जिले की ग्राम पंचायत छटन में तीन दिवसीय कबीर प्रकटोत्सव संत समागम समारोह का भव्य आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण छग शासन सदस्य एवं महिला कांग्रेस प्रदेश महासचिव रत्नावली कौशल,विशिष्ट अतिथि युवक कांग्रेस प्रवक्ता मनीष साहू , कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम के सरपंच प्रतिनिधि कुमंत साहू,मानवाधिकार एवं भ्रष्टाचार निरोधक सेल प्रदेश प्रतिनिधि खुमान चतुर्वेदी शामिल थे। कबीरपंथ के अनुयायियों और ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने आरंभ में सुश्री कौशल का आत्मीय स्वागत किया।
संत कबीर साहेब एवं अन्य संत मुनियों के चित्रों को नमन करने के बाद मुख्य अतिथि रत्नावली कौशल ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सद्गुरु कबीर साहेब महान समाज सुधारक और मानव समाज में क्रांतिकारी अलख जगाने वाले संत महापुरुष थे,कबीर साहेब ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को नई दिशा दी है,उन्होंने आडंबरों, पाखंड,झूठे कर्मकांड,रूढ़िवाद के खिलाफ समाज को जागरूक किया,उस दौर में जब समूचा मानव समाज अंधविश्वास, कर्मकांड,पाखंड और रूढ़िवाद के भ्रमजाल में उलझा हुआ था,तब समाज में संत कबीर साहेब के रूप में एक अनमोल रत्न मानव समाज को मिला,संत कबीर साहेब निर्गुण भक्ति के पैरोकार और झूठे दिखावे के प्रबल विरोधी थे,उन्होंने सामाजिक समरसता से युक्त समाज की स्थापना के पक्षधर थे और इसके लिए उन्होंने ऐतिहासिक जनजागरण अभियान चलाया,दीन दुखियों की सेवा न कर व्यर्थ के पूजा पाठ, कर्मकांड में उलझे रहने वालों को उन्होंने अपनी इस रचना के जरिए नसीहत दी कि 'पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पुजूँ पहाड़।' उनका कहना था कि अगर पत्थर की पूजा करने से देवता मिलते हैं,तो मैं पहाड़ की पूजा करने तैयार हूं। कबीर साहेब ने इस पंक्ति के जरिए समझाया है कि फिजूल के कर्मकांड में न उलझते हुए दीन दुखियों की सेवा करना चाहिए। हिन्द सेना महिला ब्रिगेड राष्ट्रीय अध्यक्ष रत्नावली कौशल ने कबीर साहेब की पंक्तियों 'बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जैसे पेड़ खजूर, पंछी को छाया नहीं,फल लगे अति दूर' का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा बड़ापन व्यर्थ है, जो किसी के काम न आए। कबीर साहेब की इन छोटी छोटी साखियों और दोहों में बड़े बड़े संदेश निहित हैं,अगर हम इन संदेशों को पचास फीसद भी आत्मसात कर लें तो मानव योनि में हमारा जन्म लेना सार्थक हो जाएगा।
अनुसूचित जाति कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष रत्नावली कौशल ने कहा कि कबीरपंथ के अनुयायी बड़े ही सात्विक और अहिंसक होते हैं। प्राणीमात्र के प्रति दया, करुणा, ममता, समता और वात्सल्य भाव ही कबीरपंथ का दर्शन है। कबीरपंथ में जाति पाति का भेदभाव और बंधन नहीं है। किसी भी जाति धर्म का अनुयायी कबीरपंथ का अनुगामी बन सकता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति का पूर्णतः अहिंसक, सात्विक और दयालु होना जरूरी है।वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री रत्नावली कौशल ने कहा - कबीरपंथियों की दयालुता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि जब वे अपने लिए भोजन तैयार करते हैं, तो ईंधन के प्रयुक्त की जाने वाली लकड़ी पर भी जल छिड़कते हैं, ताकि लकड़ी में छुपे सूक्ष्म जीव बाहर निकल जाएं। सुश्री कौशल ने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी संत कबीर साहेब पथ पर चलने वाले जननेता हैं। संत कबीर के उपदेशों को को आत्मसात कर मुख्यमंत्री श्री बघेल बिना भेदभाव किए सभी जाति - धर्मों के लोगों के समग्र उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से काम करते आ रहे हैं।कार्यक्रम में कबीर पंथी अनुयायी समाज
प्रमुखगण,वरिष्ठ समाजसेवी,बुद्धिजीवी,ग्राम छटन के आस पास के सैकड़ों की संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।