आरक्षण मामले में राजभवन और राज्य सरकार में तकरार*

रायपुर :अब लगभग यह स्पष्ट होते जा रहा है की सरकार और राजभवन के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है...

*दो संसोधन और दोनो पर विवाद*
24 नवंबर 2022 मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई थी, जिसमें दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए..
1.. 19 सितंबर 2022 को 58% आरक्षण जिसे 2012 में भाजपा सरकार ने लागू किया गया था, उसे उच्च न्यायालय बिलासपुर ने निरस्त कर दिया और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के अनुरोध पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अनुसूचित जनजाति का आरक्षण पुनः 32 परसेंट करने के लिए का निर्णय हुआ।

लेकिन...

इसी बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 27% पिछड़ा वर्ग, 13% अनुसूचित जाति और 4% ईडब्ल्यूएस को आरक्षण दिया जाए, इसी पर महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके को शायद आपत्ति है, उनका कहना है कि जो की उन्होंने 10 दिसंबर को धमतरी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था कि मैंने तो सिर्फ अनुसूचित जनजाति वर्ग का 20% से बढ़ाकर 32% आरक्षण करने के लिए ही विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया था लेकिन उसे अन्य आरक्षण प्रक्रियाओं से जोड़कर उसे 76% कर दिया गया है, तो इसका में अध्ययन करूंगी कि कहीं यह मामला आगे चलकर न्यायालय में चैलेंज तो नहीं हो जाएगा और आरक्षण का यह मामला लटक तो नहीं जाएगा क्योंकि 58 प्रतिशत को न्यायालय ने निरस्त कर दिया, तो फिर 76 प्रतिशत खतरे की घंटी बन सकती है...

2.. दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय कैबिनेट ने लिया था कि डीएमएफ फंड की राशि दूसरे मद में, दूसरे जिलों में भी खर्च की जा सकती है शायद इस पर भी महामहिम राज्यपाल को आपत्ति है, ऐसा बताया जाता है। उनका कहना है कि जहां पांचवी अनुसूची लागू है वहां का डीएमएफ फंड में कोई छेड़छाड़ नहीं होने दूंगी, क्योंकि जहां पांचवी अनुसूची लागू है आदिवासी क्षेत्रों में संविधान के अनुसार उनकी संरक्षक राज्यपाल होते हैं...
*राज्यपाल संतुष्ट नहीं*
लगभग स्पष्ट नजर आ रहा है कि जो 2 दिसंबर 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में जो आरक्षण पालिसी पास की गई है 76 प्रतिशत की, उस पर राज्यपाल जब तक संतुष्ट नहीं हो जाती तब तक हस्ताक्षर नहीं करेगी, अब इस पर कितना समय लगेगा इसका इंतजार करना होगा...
*फिलहाल आरक्षणरहित प्रदेश*
देश का पहला ऐसा राज्य छत्तीसगढ़ होगा जहां अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग को आरक्षण से लंबे समय तक वंचित रहना पड़ेगा, केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है और जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी तकनीकी रूप से स्वीकार किया है, लेकिन छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में इसमें भी छेड़छाड़ की गई है और इसे ईडब्ल्यूएस आरक्षण को 4% कर दिया गया है अब यह चर्चा का विषय है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया नियम को राज्य सरकार छेड़छाड़ कर सकती है, चर्चा यह है कि महामहिम राज्यपाल इस पर भी गंभीरता से चिंतन कर रही है और विधि विशेषज्ञों से राय ले रही है...
*संवैधानिक व सैद्धांतिक मसला*
इन्हीं सैद्धांतिक और संवैधानिक मसलों को देखते हुए और जो सूत्र बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ कि राज्य सरकार और राजभवन के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है, अब आगे क्या होगा इसका हमें इंतजार करना होगा...

✒️ *बालमुकुंद शर्मा : रायपुर/कांकेर*