थारू स्त्री पुरूषों ने राम-सीता विवाह गीत की प्रस्तुति से बांधा समा,जिले की महिला अधिकारियों ने भी थारू महिलाओं का दिया साथ,थारू गीत व नृत्य की गवाह बना हरियाली रिसोर्ट

बहराइच। जनपद के घने वनों, कल-कल, छल-छल करती अथाह जलराशि से पूरित नदियों, सुन्दर मनोहारी वन्य जीवों, पशु पक्षियों के कलरव से गुंजित भू-भाग के आस-पास कतर्नियाघाट वन्य विहार से सटे ग्रामों में लोगों की नजरों से प्रायः दूर रहने वाले थारू जनजाति को जब भी अपना हुनर दिखाने का अवसर मिलता है तो अक्सर श्रोता अपनी ऊंगलियों को दांतों के नीचे दबा लेते हैं। जंगल के बीच रहने वाली थारू जनजाति जिसका कमोबेश शहरी परिवेश में रहने वाले लोगों से सामना होता है, लेकिन हर बार थारू जनजाति नृत्य हो या गायन, दस्तकारी हो या कच्ची मिट्टी से घर बनाने की कला, लोगों को आकर्षित करने में सफल होते हैं।
कुछ ऐसा की नज़ारा 15 अगस्त 2022 की शाम का था जब जिले के दूर-दराज़ थारू बाहुल्य गॉव बलई से आये हुए लोकगीत एवं नृत्य दल ने राम-सीता विवाह गीत चनना पिरही देहनै धाराई, चौमुख दियाना देत जलाई की प्रस्तुति से मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बल्कि जिले की महिला प्रशासनिक अधिकारियों ज्योति राय व पूजा यादव के साथ हाल में मौजूद कुछ अन्य महिलाएं भी थारू महिलाओं का साथ देने के लिए मंच पर पहुॅच गई। राम-सीता विवाह गीत में पुरूष कलाकार राजाराम व राम कुमार तथा महिला कलाकारों में मनीषा कुमारी, राज कुमारी, रंजीता कुमारी, विद्यावती, रोशिना थारू, राजरानी देवी, सरिता देवी, नीशा कुमारी, कल्पना देवी, लगनी देवी व रजनी देवी ने एक दूसरे का बखूबी साथ निभाया और लोगों से शाबाशी बटोरी। कार्यक्रम के अन्त में डीएम ने बलई गांव से आये थारू कलाकारों को अतिथियों के साथ अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित भी किया।