शहीद ए करबला

अस्सालाम या इमामे-आलि-मक़ाम

जो दीने हक़ को जहां में बचा के लाए हैं

यज़ीदियों को ठिकाने लगा के लाए हैं

यज़ीदियत को ज़मी दोज़ करके छोड़ेंगे

अली की तेग शहेदीं उठा के लाए हैं

कभी जो की है सवारी की ज़िद नवासों ने

रसूल काँधे पे उनको बिठा के लाए हैं

हम अपने घर के बुज़ुर्गों की मौत से भी डरें

कलेजा देखो वो असगर उठा के लाए हैं

सरों को अपने कटा डाला बे वफ़ा न हुए

वफ़ा परस्त है तोहफे वफ़ा के लाए हैं

जो दीनो ईमां है #अब करोड़ों में

बहत्तर अपने सरों को कटा के लाए हैं #karbala

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Haseeb ahmad Khan | Aug 06, 2022

Mashallah