रोका छेका अभियान कागजो में नही उतरी योजना धरातल में।

कुरुद:-कहने को छत्तीसगढ़ की किसान हितैषी सरकार द्वारा रोका-छेका अभियान जारी है लेकिन धरातल पर उल्टे मवेशियों ने ही सड़कों को रोक और छेक रखा है। सरकार की अधिकांश योजनाओं की तरह रोका-छेका अभियान का भी वैसा ही हाल होता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में पुरानी परंपरा रही है,जैसे ही बारिश के मौसम में किसान खेती की शुरुआत करते हैं उस वक्त मवेशी खेतों को नुकसान न पहुंचाएं इसके कारण उन्हें घरों में ही बंद रखा जाता है। इसे रोका-छेका कहा जाता है।
किसानों की सरकार होने का दावा करने वाली बघेल सरकार भी इसी परंपरा को कायम रखते हुए रोका-छेका अभियान चला रही है, जिसके तहत कुरुद नगर में नगर पंचायत को जिम्मेदारी दी गई है कि वह सड़क पर मौजूद मवेशियों को गौठान तक पहुंचाएं, साथ ही मवेशी के मालिकों से एक शपथ पत्र भरवाया जाए जिसमें वे अपने मवेशियों को घर में रखने पर सहमति दे। कहने को तो योजना जारी है लेकिन इसका असर कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रहा। वहीं सड़कों पर अभी भी हर ओर मवेशी जमे हुए हैं। आप नगर के किसी भी सड़क पर चले जाइए,सड़क पर गाय बैलों के झुंड नजर आ जाएंगे।
नया बस स्टैंड से लेकर नया बाजार चौक अन्य सभी सड़कों पर इसी तरह मवेशियों का कब्जा है।

ऐसे में समझ नहीं आ रहा कि सरकार की महत्वकांक्षी योजना रोका छेका आखिर चल कहां रही है,सड़क पर मवेशियों के होने से सड़क दुर्घटना में भी इजाफा हो रहा है।