दिल्ली : एप लोन के बहाने वसूली करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश, पांच गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एप लोन के नाम पर वसूली करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश दिल्ली, हरियाणा व यूपी से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह को चीन में बैठकर चीनी आका चला रहे थे। आरोपी रंगदारी की रकम को क्रिप्टो करेंसी के जरिए चीनी नागरिकों को हांगकांग, दुबई और चीन भेज रहे थे

आरोपी कम ब्याज व केवाईसी के बिना एप लोन देने के बहाने मोबाइल से डाटा चोरी कर लेते थे। इस डाटा को वह ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल करते थे। आरोपी बिना लोन लिए तृणमूल कांग्रेस से तीन बार सांसद रहे चुके व राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलदर के बेटे अनुराग हलदर को परेशान व समाज में अपमानित कर रहे थे। इनके पास से अपराध में इस्तेमाल होने वाले तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।

अपराध शाखा डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि आरोपियों की पहचान यूपी के र्फरूखाबाद के गांव नगला जैतपुर निवासी सोनू सिंह, अताईपुर, जदीद कैमगंज निवासी विकास कुमार, नवादा दिल्ली निवासी हरप्रीत सिंह, उत्तम नगर दिल्ली निवासी पंकज कुमार और कापसहेड़ा निवासी जितेंद्र कुमार के रूप में हुई है। कोलकाता निवासी अनुराग हलदर ने शिकायत दी थी कि कुछ लोगों द्वारा उन्हें और उनके रिश्तेदारों को धमका रहे हैं।

ये लोग व्हाट्सएप काल कर चीनी फाइनेंस कंपनी कैश एडवांस हा से लिए गए लोन को चुकाने की बात कह रहे हैं। जबकि अनुराग हलदार ने कोई लोन लिया ही नहीं था। मामला दर्जकर एसीपी राजकुमार साहा की देखरेख में इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह, एसआई प्रमोद व रविंद्र की टीम ने जांच शुरू की। पुलिस टीम ने व्हाट्सएप नंबरों की जांच की तो आरोपियों की लोकेशन मिली। पुलिस टीम ने दिल्ली-गुरुग्राम सीमा स्थित सालापुर खेड़ा, ब्रिजवासन में छापेमारी कर सोनू सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसकी निशानदेही पर विकास कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों से पूछताछ कर पुलिस ने तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपी लोगों को ऐसे जाल में फंसाते थे
आरोपी एप के जरिए लोन लेने के इच्छुक लोगों से संपर्क करते थे। इन एप का आरोपी अलग-अलग तरीके से प्रचार करते थे। आरोपी दावा करते थे कि कुछ ही मिनटों में लोन की रकम उनके पास पहुंच जाएगी। गूगल प्ले स्टोर पर लोन देने के लिए आरोपी एनबीएफसी के फर्जी एग्रीमेंट लेटर भी डाल देते थे। एप डाउनलोड करने के समय कई जानकारियां सांझा करने क लिए अनुमति मांगी जाती थी।

कुछ लोग कम ब्याज दर और बिना केवाईसी के लोन मिलने के झांसे में आ जाते थे। जैसे से ही कोई पीड़ित लोन लेने के लिए गूगल प्ले से इनकी एप को लोड़ करते थे पीड़िता का डाटा, मोबाइल नंबर व मोबाइल में मौजूद पीड़ित की व्यक्तिगत फोटो चीन के सर्बर में स्वत: ही चली जाती थीं। वहां पीड़ित के फोटो या वीडियो से छेड़छाड़ कर उसे अश्लील बना दिया जाता था। अश्लील फोटो व वीडियो के आधार पर ये पीड़ित से मोटी रकम ऐंठते थे। अश्लील वीडियो व फोटो को मोबाइल के कॉट्रेक्ट सूची में शामिल परिजन, रिश्तेदारों व दोस्तों को भेजने की धमकी देकर रकम ऐंठी जाती थी। पीड़ित डर कर आरोपियों को मोटी रकम दे देता था।

👇

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अंतरराष्ट्रीय ऋण जालसाजों के एक एकीकृत सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है, जो एक ऐप के माध्यम से लोगों को ऋण की पेशकश के साथ ठगता है।

15 अप्रैल को, पश्चिम बंगाल के सोदपुर, कोलकाता के निवासी अनुराग हलदर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके परिवार को "कैश एडवांस हा" द्वारा ली गई ऋण राशि के पुनर्भुगतान पर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय व्हाट्सएप मोबाइल नंबरों के माध्यम से कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा धमकाया गया था। , जो एक अनधिकृत चीनी माइक्रोफाइनेंस कंपनी थी, पुलिस ने कहा।

हलदर ने जब कंपनी को बताया कि इस तरह की रकम किसी से नहीं ली गई है तो फोन करने वालों ने उसे धमकाया और गाली-गलौज की. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने जांच अपने हाथ में ले ली।

मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) की और जांच करने पर, पुलिस ने पाया कि आरोपी ने पीड़ितों को फर्जी तरीके से व्हाट्सएप नंबर के जरिए कॉल किया। मोबाइल फोन उपयोगकर्ता पश्चिम बंगाल और असम के थे।

डीसीपी (अपराध शाखा) रोहित मीणा ने कहा कि जांच में पता चला है कि एक आरोपी दिल्ली-गुरुग्राम सीमा क्षेत्र के पास स्थित था, जिसके बाद पुलिस ने बिजवाशन के साला पुर खेड़ा इलाके में छापा मारा, जहां से 22 वर्षीय सोनू सिंह, एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने कहा कि सोनू चीन स्थित माइक्रोफाइनेंस कंपनी के लिए रिकवरी एजेंट के रूप में काम करता था। पुलिस ने बाद में एक अन्य आरोपी 24 वर्षीय विकास कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया।

डीसीपी ने कहा कि कुमार ने एक टीम चलाई, जिसने कर्ज लेने वालों को फोन किया, जिन्होंने उनके ऐप से कर्ज लिया था। कुमार ने बाद में पीड़ितों की संपर्क सूची पर धमकी भरे संदेश भेजे।