बालको संयंत्र का एक और कारनामा भू स्थापित कर्मी की जमीन भी गई और नौकरी भी,

कोरबा- बाल्को पावर प्लांट के प्रबंधक की मनमानी का खामियाजा ठेका मजदूर भुगत रहे हैं, आए दिन बालको प्रबंधन के खिलाफ ठेका कर्मी बालको गेट के पास आंदोलन करते दिखाई देते हैं, ताजा ही मामला 2 दिन पूर्व का है, जब बालको प्रबंधन ने तीन ठेका कर्मियों को उनके कामों से बर्खास्त कर दिया गया था जिसके बाद बर्खास्त ठेका कर्मियों ने बालकों प्रबंधन के खिलाफ अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन करने को मजबूर थे, बालको के ठेकेदार पारेख इंजी द्वारा महेश दास नामक कर्मचारी को कार्य से बर्खास्त कर दिया गया है, यह जानते हुए भी कि वह कर्मी भूविस्थापित कर्मी है एवं बालको कारखाने के निर्माण के वक्त उसके पुरखों की जमीन खसरा न. ३६८,३६९,३६०/२,३६०/३ (कुल १.४९ एकड़) अधिग्रहण किया गया था, जिसकी मुआवजा राशी को लेकर उच्च न्यायालय में प्रकरण अभी तक विचाराधीन है, इसी कारण बालको प्रबंधन एचआर के एक अधिकारी ने जान बूझ कर उक्त श्रमिक को प्रताड़ित करने के लिए ठेकेदार के माध्यम से यह कुत्सित कार्य किया है। ठेका कर्मी महेश दास एवं दीपक उपाध्याय अपनी ड्यूटी के बाद बालको गेट के बाहर बात चीत कर रहे थे,उस दौरान वहां एक बालको का जे.एस.ओ पहुँचा और दोनों को पीटने की धमकी देने लगा, इस पर तीनो का विवाद हुआ, चूंकि मामला ड्यूटी के बाद का था, इसके बाद भी हिटलरशाही नीति अपनाते हुए, कार्य के दौरान के प्रावधान लगा कर जांच बैठा दी गई और दोनों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया,
दोनों श्रमिको ने बालको एवं कोरबा के निवासियों से आग्रह किया किया की बालको प्रबंधन की झूठी
विज्ञप्तियों से गुमराह न हों, बालको के अधिकारियों की कार्यशैली सभी को उजागर हो चुकी है, लोकल
लोगों के सीधेपन का फायदा उठा कर बालको एच.आर का अधिकारी इस तरह श्रमिकों के परिवारों को भूख
मार रहा है। हम दोनों कर्मचारी,बालको की श्रमिक विरोधी और हिटलरशाही नीति के विरोध में अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं, और अपील है कि जिनके साथ भी बालको प्रबंधन ने अत्याचार किया है, वे हमारा साथ दें।