स्वहित के लिए आरटीआई कार्यकर्ता बना कोरबा का मनीष राठौर अब प्रशासन-पुलिस पर उंगली उठा रहा है। अपने लाभ के लिए- अंशु पलेरिया

कोरबा -मनीष राठौर इस हद तक गिर चुका है कि वह अब प्रशासन के साथ सांठगांठ बताकर और पुलिस और जिला प्रशासन के द्वारा की जाने वाली कार्यवाही को भी सांठगांठ बताने लगा है। मनीष राठौर जो कि खुद तरह-तरह के अवैधानिक काम में संलिप्त है लेकिन अपने आप को आरटीआई कार्यकर्ता बताकर और जो इसके खिलाफ कुछ भी बौलता है या लिखटा पढता है उसके खिलाफ़ आरटीआई लगाकर परेशान करने का काम करते आ रहा है। जो इसको रुपए पैसे दे या इसके मन मुताबिक काम करता है उसका दोहन करने लगता है लेकिन जब इसकी मनमानी बात न सुनी जाए तो दूसरी तरह से झूठी शिकायतें करके परेशान भी करने लगता है। मनीष राठौर खुद को ईमानदार बता कर अपने निजी स्वार्थों के कारण अब प्रदेश सरकार को भी गुमराह करने पर तुला हुआ है। कोरबा शहर और जिला के माहौल को न सिर्फ खराब कर रहा है बल्कि अधिकारी भी इस के रवैया से परेशान हैं। मनीष राठौर खुद रेल, सिनोस्फीयर, मुरूम, गिट्टी, पत्थर का अवैध रूप से खनन करके परिवहन और उपयोग के काम को करते आ रहा है। आखिर इसके आरटीआई कार्यकर्ता बनने से किस जरूरतमंद का भला हुआ है या इसके आरटीआई लगाने से किसका बिगड़ा काम बना है। मनीष राठौर आरटीआई कार्यकर्ता के नाम पर सिर्फ और सिर्फ भयादोहन और वसूली के काम में संलिप्त है। आरटीआई लगाकर अपना ठेका चमकाने में लगा हुआ है। कोरबा के शांत वातावरण को यह खराब करने का काम कर रहा है। कोरबा की जनता और इससे सताई हुए लोग इसकी मंशा को समझ चुके हैं यही कारण है कि इसने कोरबा जिले में पत्रवार्ता लेने की बजाए रायपुर में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है ताकि वहां पर दबाव बना सके। लगता है मनीष राठौर को कोरबा की मीडिया पर भी भरोसा नहीं रह गया और वह तो मीडिया से भी सांठगाठ का आरोप लगाता आ रहा है। उसके इस तरह के अनर्गल तरीके से वे लोग भी परेशान हैं जो शांतिपूर्वक अपना काम धंधा करना चाहते हैं। मनीष राठौर के रवैया से लोगों में आक्रोश तो है लेकिन इससे इसलिए बचना चाहते हैं क्योंकि आदतें सही नहीं है। कोरबा जिला प्रशासन को चाहिए कि वह मनीष राठौर के सभी तरह के कामकाज की जांच पड़ताल करें। उसके पास महंगी-महंगी गाड़ियां कहां से और कब खरीदी गई, उसने इसके लिए कहां से पैसा लाया, उसके आय का जरिया क्या है इस सब की जांच पड़ताल सरकार को करनी चाहिए। आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में उसने जो जो आरटीआई लगाया है और उसके पीछे मकसद क्या है इसकी भी जांच होनी चाहिए। खुद को ईमानदार बता कर दूसरे पर कीचड़ उछालने वाले मनीष राठौर का सच भी पुलिस और प्रशासन को सामने लाने के लिए संयुक्त रूप से काम करने की जरूरत है क्योंकि उसने तो प्रशासन और पुलिस से अंशु पलेरिया पर सांठगांठ का आरोप लगाया है जबकि प्रशासन और पुलिस ने अंशु पलेरिया के ठिकाने पर लगातार दबिश देकर कार्यवाही की है। प्रशासन और पुलिस की छवि को दागदार बताने वाले ऐसे आरटीआई कार्यकर्ता के भी कारनामों की जांच जरूरी है ताकि उसका बेईमान चेहरा बेनकाब हो सके। आपसी लेनदेन के मामले को ब्लैकमेलर आरटीआई कार्यकर्ता मनीष राठौर के द्वारा रंजिश के रूप में पुलिस और प्रशासन को गुमराह करके भुनाया जा रहा है जो स्वस्थ प्रशासन के लिए उचित नहीं है। प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को भी और रायपुर मंत्रालय में बैठे मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी मनीष राठौर की बात पर आंख मूंदकर भरोसा करने की बजाए अपने आंख कान खुले रखकर काम और कार्यवाही करने की जरूरत है।

एडिटिंग वीडियो दिखाकर गुमराह कर रहा है ब्लैकमेलर मनीष राठौर-मुझे मनीष राठौर की चाल से खतरा है कोरबा जिले का रहने वाला मनीष राठौर जो खुद को आरटीआई एक्टिविस्ट बताता है वह मूल रूप से आरटीआई कार्यकर्ता होने की आड़ में ब्लैकमेलिंग का काम वर्षों से करता आ रहा है। उसकी ब्लैकमलिंग का शिकार ना सिर्फ सरकारी अधिकारी हैं बल्कि कई व्यापारी और ठेकेदार भी उससे परेशान हैं। उसकी कुटिल चाल का शिकार मुझे भी होना पड़ा है जबकि मनीष राठौर मेरा मित्र भी है। वह आए दिन अक्सर मुझसे आरटीआई लगाने की आड़ में रुपए मांगता रहा और दोस्त होने के नाते मैंने हर समय उसकी मदद भी की। उसको रुपए लेन-देन के मेरे पास प्रमाण भी मौजूद हैं और भयादोहन के प्रमाण भी हैं। मदद के बाद भी उसकी यह गंदी आदत बढ़ती चली गई और वह अपने जन्मदिन जैसे काम के लिए भी मुझसे रुपए की मांग ब्लैक मेलिंग कर करता रहा। मनीष राठौर ने एक वीडियो वायरल किया है जिसमें उसने कूट रचना करते हुए एडिटिंग भी की है। मनीष राठौर की कार उसके घर के सामने पिछले दिनों जल गई थी। मनीष राठौर के घर में कैमरा लगा हुआ है और सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में 24 घंटे उसकी कार रहती है। उसने कार का जलता हुआ वीडियो दिखाया है लेकिन कार को आग किसने लगाया यह वीडियो में कहीं भी नजर नहीं आया है। मनीष के द्वारा एक सोची समझी साजिश और षड्यंत्र के तहत मुझे फंसाने के लिए काम किया जा रहा है। वह मेरा दोस्त है और उसने मेरे भरोसे का फायदा उठाकर और ब्लैकमेलिंग करने की नियत से ऑडिट किया हुआ वीडियो जगह-जगह वायरल कर रहा है। उससे काफी लोग पीड़ित हैं लेकिन किसी तरह के पचड़े में पड़ने से बचने के लिए सामने नहीं आते। कोरबा की पुलिस ने एक पार्षद श्री राम प्रकाश जायसवाल की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मनीष राठौर के द्वारा ली गई उसकी कार को वापस करवाया है। मनीष राठौर आरटीआई कार्यकर्ता की आड़ में ब्लैकमलिंग करते आ रहा है जिसके संबंध में उसके सभी तरह के कामकाज की जांच की बाहरी पुलिस या अधिकारी से कराने की जरूरत है। मनीष राठौर जिस तरह से मेरे खिलाफ झूठी बातें प्रशासन और पुलिस के सामने रखकर बदनाम करने की साजिश कर रहा है उससे पुलिस और प्रशासन पर दबाव भी बना कर मेरे खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही या कोई भी घटनाक्रम करवाने की भी वह मंशा रखता है। यदि मुझे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को कुछ भी होता है तो इसका पूर्ण रूप से जिम्मेदार मनीष राठौर और उसका ब्लैक मेलिंग करने वाला कृत्य होगा। मनीष राठौर से मुझे न सिर्फ ब्लैकमेलिंग बल्कि जान माल का भी खतरा बना हुआ है। मनीष राठौर ने किस किस विभाग में किस किस मकसद से आरटीआई लगाया है इसका भी खुलासा होना चाहिए। यह भी खुलासा होना चाहिए कि उसके आरटीआई लगाने से किसका भला हुआ है और उसका कितना फायदा आरटीआई की आड़ में हुआ है।