पटना क्षेत्र मे अवैध कोयला खदान से निकलनें वाला कोयला बेंच रहे ईट भट्टों मे, शासन को प्रतिदिन लाखों रुपयों की हो रही छती

दर्जनों की संख्या में मौत के मुंह मे जाते है, हो चुका है बडा हादसाजोखिम में डाल ग्रामीण
बैकुण्ठपुर - एसईसीएल पटना क्षेत्र के कटकोना व पण्डोपारा कोयला खन्न परियोजना कोयला चोरों के लिए चारागाह बन गई है। कोयला खान क्षेत्र से सटे गांवों के सैकड़ों ग्रामीण महिला-पुरूष खदान में जबरन प्रवेश कर प्रतिमाह लाखों रुपए लागत का कोयला चोरी कर आसपास में संचालित वैध-अवैध ईंट भट्ठों में खपाने का कार्य करते है। कोयला चोरी का विरोध करने पर कोयला चोर सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट भी करने से नहीं चूकते हैं। बड़े पैमाने पर कोयला चोरी की एसईसीएल प्रबंधन द्वारा चोरी की एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बार-बार पुलिस प्रशासन से शिकायत किए जाने के बावजूद कोयला चोरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इससे पुलिस की भूमिका पर भी संदेहास्पद है। कोरिया जिले के पटना थाना क्षेत्र में एसईसीएल कटकोना क्षेत्र की कोयला उपजाऊ केन्द्र एक नम्बर, पांच नम्बर, कटोरा साइडिंग, पण्डोपारा से कोयला लेकर आ रहीं ट्रकों से टेंगनी मे ट्रक से कोयला रास्ते में गिरा दिया जाता है, वहीं कटकोना से कोयला ले कर आ रही ट्रकों से चितमारपारा मे कोयला ट्रक से खाली कराया जाता है और कोयले को एकत्रित कर चितमारपारा के फलाना रवि के द्वारा कोयले को खपा दिया जाता है, इसी प्रकार पहाडों मे सुरंग बना कर अवैध कोयला चोरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है।कोल माफिया कोयला खदान के निकट स्थित ग्रामपुटा सहित देवखोल, मुरमा, बरदिया, टेंगनी आदि ग्रामों के ग्रामीणों रोजाना अवैध खदान से कोयला निकलवाते है, सांथ ही माफियाओं के द्वारा ट्रकों का रास्ता रोक कर ओवरलोड कोयलों से भरी गाडियों से कोयला निकालते है। कटोरा साईडिंग व कटकोना पांच नम्बर में घुसकर कोलफेस एवं कोल स्टाक से जान जोखिम में डालकर बोरियों में भारी मात्रा में कोयला चोरी कर ले जाते हैं और चोरी का कोयला आसपास के ईंट भट्ठों अथवा कोयला तस्करों को बेच देते हैं। क्षेत्र में ग्रामीण महिला-पुरूषों ने कोयला चोरी को जीविकोपार्जन का जरिया बना लिया है। सूत्रों की मानें तो कोल मफियाओं को जिले के वरिष्ट अधिकारी ने अनुमती प्रदान की है अवैध कोयला का करोबार प्रारम्भ करनें के लिए, 26 दिसम्बर से बे रोक टोक अवैध कार्य जोरों से चल रहा है। अधिक पैसा देनें का वादा कर मजदुरों का पैसा ही नहीं दिया जाता है, वहीं स्थानिय लोगों को अधिक से अधिक ग्रामीण महिला-पुरूष कोयला चोरी के आपराधिक कृत्य में लिप्त हैं। कोयला तस्करी से जुड़े अपराधीनुमा युवकों के गिरोह ने मुरमा देवखोल खदान के समीप स्थित गांवों को कोयला तस्करी का अड्डा बना रखा है। कोल माफिया की पुलिस अधिकारियों के साथ कथित रूप से सांठगांठ के आरोप भी कोयला तस्करी के कारण लगते रहे हैं। पण्डोपारा व कटकोना से कटोरा साइडिंग पटना तक कोयला परिवहन कार्य में लगी कथित ट्रीप ट्रेलर वाहनों से रास्ते में दो-तीन टन कोयला गिराकर रोजाना रात्रि में डंप अवैध कोयले को पार कर दिया जाता है। कोयले का वजन सही करने ट्रीप ट्रेलर वाहन में लोड कोयले में पानी डालकर वजन बढ़ा दिया जाता है। भारी मात्रा में कोयला चोरी से परेशान एसईसीएल प्रबंधन द्वारा पुलिस से लेकर जिला प्रशासन एवं मंत्रालय तक बार-बार कोयला चोरी की शिकायत किए जाने से दबाववश पुलिस एवं खनिज महकमे द्वारा कभी कभार अभियान चलाकर महज कागजी खानापूर्ति की जाती है। यही कारण है कि खदान से कोयला चोरी बदस्तूर जारी है।चोरी के कोयले से चल रहे ईंट भट्ठे-अमेरा खदान के आसपास से लेकर सैकडो गांवों में संचालित तथा कथित ईंट भट्ठा मालिक चोरी के कोयले से भारी मात्रा में ईंट निर्माण कर मालामाल हो रहे हैं। पटना क्षेत्र में ही सौ से अधिक बंगला भट्ठे अवैध रूप से संचालित हैं जिससे शासन को भारी क्षति हो रही है। खदान में चोरी किए गए कोयले को कथित वैध एवं अवैध ईंट भट्ठों में खपाया जाता है। पथराव से दहशत में सुरक्षा महकमा-खदान की सुरक्षा के लिए प्रबंधन ने लाखों रुपए खर्च कर प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी को सुरक्षा का ठेका दे रखा है। सुरक्षाकर्मी कोयला चोरी रोकने का प्रयास करते हैं तो कोयला चोर उन पर पथराव कर उन्हें चोटिल कर देते हैं। इस स्थिती मे एक प्रश्न सभी के जेहन मे है कि क्या पटना थाना प्रभारी या जिले के वरिष्ट अधिकारी कोल मफियाओं पर कार्यवाही कर पाऐंगें या नहीं। पुलिस विभाग के आरक्षक नें नाम न छापनें की शर्त पर बताया की समय रहते कोल मफियाओं को पकड पाऐंगे या नहीं यह तो अब आनें वाला वक्त ही बताएगा।