उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की मनमानियों के चलते अपनी ही धरती पर उपेक्षित हो गए महर्षि दधीच। मिश्रित में लगवाए गए साइन बोर्ड से मिश्रित का ही नाम नदारद।

सीतापुर/ विश्व कल्याण के लिए जिन परम दानी महर्षि दधीचि ने लोक कल्याण के लिये अपनी अस्थियों तक का दान देवताओं को कर दिया था, आखिरकार उन्ही महर्षि दधीच को उनकी ही नगरी में उ० प्र० पर्यटन विभाग द्वारा क्यों कर दिया गया उपेक्षित?, धर्म परायण लोगों में इस बात को लेकर आक्रोश पनप रहा है। जी हांँ चौंकिए नहीं हम बात कर रहे हैं महर्षि दधीच की पौराणिक तपस्थली के रूप में विश्व विख्यात कस्बा मिश्रिख तीर्थ के बाहर सीतापुर हरदोई मार्ग पर ग्राम करियाडीह के सामने रोड पर उ० प्र० पर्यटन विभाग द्वारा लगाये गये साइन बोर्ड में नैमिषारण्य धाम आगमन के लिए आगन्तुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया है, जबकि इस स्थान से नैमिषारण्य कस्बा लगभग 11-12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विचारणीय बात तो यह है कि मिश्रित कस्बे के शुरुआत में लगवाये गये इस साइन बोर्ड में देवताओं द्वारा स्थापित दधीच कुण्ड के साथ ही उस परम त्यागी महर्षि दधीच जिनके सामने देवताओं तक को सतयुग काल में याचक बनकर आना पड़ा था,और जहांँ पर देवताओं द्वारा स्थापित किया गया दधीच कुण्ड तीर्थ आज भी मौजूद है के नाम का इस साइन बोर्ड में कोई उल्लेख ही नहीं किया गया है। जिससे मिश्रित नगर वासियों में आक्रोश के स्वर मुखर हैं, आखिरकार इस खामी का जिम्मेदार कौन है उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग या इस विभाग के लिए नीतियो का निर्धारण करने वाले लोगों की दूरदर्शिता? फिलवक्त प्रदेश में धर्मपरायण सरकार होने के बावजूद भी उक्त गेट नुमासाइन बोर्ड मे मिश्रित तीर्थ की उपेक्षा किये जाने के कारण, लोग इसको धर्म के साथ खिलवाड़ की ही दृष्टि से देख रहे हैं,और उनमे आक्रोश के स्वर मुखर हैं। जिसकी तरफ जिला प्रशासन और प्रदेश शासन को गंभीरता से पहल करने की आवश्यकता है ताकि सतयुग कालीन मिश्रित तीर्थ उपेक्षा के दन्श का शिकार होने से बच सके।