यमराज तुम्हें ले जायेगा

स्वार्थ छुपाकर मिलना और , रुपसी को प्रेयसी समझ लेना l

लोलुप हो निहारना ,रुपयों में उसकी बेवसी

समझ लेना ll

प्राकृतिक कैनवास पर उतारी, तस्वीर के दाम

लगा लेना l

वाह रे साहसी पुरुष, जाने अनजाने मर्दानगी दिखा देना ll

परमात्मा द्वारा आंके रंगो पर घिनौना भद्दा रँग चढ़ा देना l

दावा यह सड़क पड़ी, मैली तस्वीर को खूबसूरत बना देना,

धोखा देकर चतुर बन ,अबूझ स्वयं को भगवान बना देना ll

सब कोशिश कर, सब हाथकण्डे अपना, बच नहीं पाएगा l

स्व अंतस का स्वर्ग छोड़, इधर उधर भटकता रह जाएगा ll

काम, अहम्, लोभ, दुत्कार में ,सूली लटकता रह जायेगा l

तस्वीर,कैनवास,न रंग कहीं, जब यमराज तुम्हें ले जायेगा ll

कौशल कुमार सिंह

गहमर, गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश