रायगढ़ पूर्वांचल में बहुत ही धूमधाम से मनाई गयी नुअखाई त्यौहार

रायगढ़ पूर्वांचल के अंचल में बहुत ही धूमधाम से नुआखाई का त्यौहार मनाया जाता है । किसानों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार है। इस दिन घर में नए धान के चावल को पूजा अर्चना कर देवी-देवताओं को भोग लगाया जाता है। उसके बाद अच्छे फसल की कामना और खुशी में त्यौहार मनाया जाता है। हालांकि यह त्यौहार पश्चिम ओडिशा का प्रमुख त्यौहार है चूंकि हमारा जिला रायगढ़ पश्चिम ओडिसा से लगे होने के कारण यहां दोनों प्रदेश की संस्कृति में काफी समानता है।

नुआखाई का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने के "पंचमी" तिथि को गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाता है। यह दिन हर साल अगस्त-सितंबर के बीच पड़ता है।

नुआखाई का त्यौहार ओडिशा,छत्तीसगढ़, झारखंड में मनाया जाता है। खाशकर ओडिशा सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के - महासमुंद, धमतरी, रायगढ़ के अलावा बस्तर में धूमधाम से मनाया जाता है।

कोसली भाषा में नुआ का अर्थ - "नया" और खाई का अर्थ - "खाना" होता है अर्थात नए अन्न को ग्रहण करना। नुआ खाई में सभी देवी- देवताओं की पूजा करते हैं साथ ही सभी लोग पूर्वजों को याद भी करते हैं ।

नुआखाई के 9 रस्में

1 ◆बेहेरन◆ यह वह रस्म होता है जिसमें सभी नुआखाई मनानेवाले लोग इकठ्ठा होते हैं और पर्व के उत्सव के सही समय के बारे में बातचीत करते हैं ।

2 ◆लगन देखा◆ सभी मिलकर एक निर्धारित समय को चुनते हैं जिस समय सभी मिलकर एकसाथ बाद में नुआखाई के दिन चावल खाते हैं।

3 ◆डका-हका◆ यह वह रस्म होता है जिसमें सभी लोग अपने परिवार और आस-पास के अन्य लोगों को नुआखाई के दिन एक साथ नया चावल खाने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह रस्म इतना अच्छा होता है कि इसमें लोग अपने पुराने द्वेष (लड़ाई - झगड़े) को भूला कर एक दूसरों से बात-चीत करते हैं ।

4 ◆लीपा-पूछा◆ इस रस्म में सभी लोग अपने घरों की साफ सफाई अच्छे से करते हैं। घर के सामने को गोबर पानी से लिपते हैं और घरों की दीवारों को अच्छे से पुताई करते हैं।

5 ◆घिना बिका◆ यह वह समय होता है जब पर्व के लिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं । उसके बाद उसदिन के खान-पान के लिए पूजा का सामान खरीदते हैं। यह माना जाता है इससे घर में "लक्ष्मी का आशीर्वाद" और "सुख-शान्ति" रहती है।

6 ◆नुआ धान खुजा◆ पर्व के एक दो दिन पहले नुआ खाई के लिए नए धान खोजते हैं। कभी - कभी समय पर सबका धान नहीं पका होता है इसलिए वे अपने गावँ के दूसरे किसी खेत से भी धान खरीद लेते हैं और इस पर्व के लिए उसे सूखा कर रखते हैं। आजकल बाजारों में भी यह त्यौहारों पर बिकता है।

7 ◆बालीपका◆ यह नुआ खाई त्यौहार का महत्वपूर्ण समय होता है जब सभी लोग घर के देवी - देवताओं को नुआखाई प्रसाद चढ़ाते हैं । इस समय सभी लोग अपने घरों के कोनों में जाकर अपने पूर्वजों को चावल चढ़ाते हैं।

8 ◆नुआ खाई◆ उसके बाद सभी परिवार के लोग शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं और समय आने पर एक साथ बैठकर "नुआ-चुरा कुंडा" प्रसाद खाते हैं। यह बहुत सुंदर समय होता है जब परिवार के लोगों में खुशी की लहर होती है। सभी लोग नाचते गाते हैं और कुरे तथा महुआ के पत्ते से बने दोना या प्लेट में पारंपरिक व्यंजनों के साथ खुशियां मनाते हैं।

9 ◆जुहार भेंट◆ जुहार भेंट के साथ इस सुन्दर पर्व का अंत होता है। सभी त्यौहार मनाने वाले लोग इस दिन अपने सभी लड़ाई झगड़े भुलाकर अपने से हर बड़े व्यक्ति का पैर छुकर आशीर्वाद लेते हैं। पर्व के समाप्त होने के बाद एक तिथि निर्धारित कर नुआखाई मिलन समारोह मनाते हैं। इस दौरान नाच-गाना समेत सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है।

निष्कर्ष◆ जब आज परिवार बिखर रहे हैं तथा लोग अपने सगे संबंधियों से दूर होते जा रहे हैं यह त्यौहार हमें आपस मे जोड़ने का कार्य करते हैं। वर्षों से जो लोग दूर रहते हैं इस त्यौहार के बहाने अपने घरों को लौटते हैं तब परिवार में खुशियों का माहौल होता है ।