आनलाइन सेमिनार में डॉ. कुमार विश्वास ने की प्रधानों से बात  

रायबरेली-कोरोना महामारी से लड़ने क़ी जिम्मेदारी केवल शासन प्रशासन क़ी ही नही अपितु हम सभी क़ी भी हैं।जिसके तहत विकासखंड के प्रधानों, चिकित्सक़ो, बुद्धिजीवियों एवं प्रशासनिक व्यक्तियों के साथ कोविड की चुनौतियों और हमारे गांव विषय पर आनलाइन गोष्ठी का आयोजन हुआ। आयोजित सेमिनार में पंकज प्रसून द्वारा जिले में संचालित ''आओ गांव बचाए'' मुहिम के तहत ब्लॉक के ग्राम प्रधानों से कवि डॉ कुमार विश्वास रूबरू हुए।

इस दौरान पंकज प्रसून से बातचीत में उन्होंने कहा कि कवियों के बारे में आम राय होती है कि वह जन सरोकार की बातें तो करते हैं लेकिन जमीन पर आकर काम नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि जाने माने कवि पंकज प्रसून, गजेंद्र प्रियांशु, अभय निर्भीक व अमन अक्षर जैसे कवि गांवों गांवों में किट लेकर पहुंचे उसके बाद तो देखते देखते 8 राज्यों के 700 गांवों में कोविड केयर सेन्टर बन गए।इससे पहले महराजगंज की एसडीएम ने सेमिनार में सबका स्वागत करते हुए बताया कि इस मुहिम से यहां की जनता को बहुत फायदा हो रहा है। यहां पर केवल 13 एक्टिव केस है बाकी लोग निगेटिव हो चुके हैं।
आओ गांव बचाए मुहिम के बारे में बताते हुए डा. कुमार विश्वास ने बताया क़ी पंकज प्रसून ने ट्वीट किया था कि वह रायबरेली के गांवों के लिए अभियान चला रहे हैं, और उनको कन्संट्रेटर चाहिए। उन्होंने सोनू सूद से कहा कि वह भेज दें वरना उन्हें ही भेजना पड़ेगा। फिर पंकज प्रसून को शाम तक ही कनसंट्रेटर मिल गए।डा.कुमार विश्वास ने प्रोत्साहित करते हुए कहा कि प्रधानों ने अपने गांवों में वह कर दिखाया है जो नेता,विधायक नहीं कर पाए। नेता वह नहीं जो जनता की वोट पाने के लिए चुनाव लड़े बल्कि नेता वह है जो ऐसी आपदा में जनता के बीच जाकर काम करे।उन्होंने बताया कि सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों से उन्होने बात कह के बताया की यह लड़ाई सरकार अकेले लड़ कर नहीं जीत सकती है। राम अकेले लंका नहीं जीत पाए। बिना जन सहयोग के यह लड़ाई लड़नी असम्भव थी। इस दौरान आनलाइन सेमिनार में एसजीपीजीआई लखनऊ के चिकित्सक डॉ ज्ञान चंद ने कहा कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही प्रभावी हैं इसलिए मन मे इनको लेकर भ्रम न पालें। तीन स्टेज के क्लीनिकल ट्रायल के बाद ही वैक्सीन को मान्यता दी गई है। उन्होंने कहा कि शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि गर्भवती महिलाएं व दूध पिलाने वाली माएँ भी वैक्सीन लगवा सकती हैं। गम्भीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों को तुरन्त वैक्सीन लगवानी चाहिये। उन्होने कहा की टीकाकरण से संक्रमण और इससे होने वाली मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलती है लेकिन हमारे पास ऐसे पर्याप्त उदाहरण नहीं हैं जिसके आधार पर माना जा सके कि यह ट्रांसमिशन को कितने प्रतिशत तक कम कर सकती है? ऐसे में टीकाकरण के बाद भी आपको संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए सुरक्षात्मक उपायों को प्रयोग में लाते रहना चाहिए।
राजीव दीक्षित हास्पिटल के डॉ दीना नाथ ने बताया कि कोविड से रिकवरी के बाद तीन महीनों तक आपको हल्की खांसी आ सकती है, कमजोरी रह सकती है। इससे घबराएं नहीं ।ठीक होने के बाद कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन सैचुरेशन, ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल जैसे मापदंडों पर नजर रखनी जरूरी है।सबसे आम जटिलताएं , जो हम रिकवरी के बाद देख रहे हैं, वे श्वसन प्रणाली से संबंधित हैं, जैसे कि इंटरस्टीशियल लंग डिजीज, इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस और ब्रोंकाइटिस। ऐसे में अपने स्वास्थ्य पर नज़र रखती ज़रूरी है।उन्होमे बताया चूंकि अभी भी सामुदायिक स्तर पर कोरोना से जीत नहीं मिली है इसलिए सिर्फ बहुत आवश्यकता होने पर ही यात्रा करें,अनायास की यात्रा से बचें।
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डा संजीव ओझा ने बताया कि आप काढ़ा, हल्दी दूध, गिलोय का नियमित सेवन करते रहेंगे तो इम्यूनिटी मजबूत होगी। ऐसे में तीसरी लहर आपका ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। आखिर में आओ गांव बचाए मुहिम के जनक पंकज प्रसून ने सभी का आभार व्यक्त किया।