धर्म सभा में स्थानीय मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब ने अतिथि वक्ता के रूप में चार व्याख्यान दिए। ​​​​​​​

रायपुर:-हरिद्वार में सम्पन्न कुम्भ मेले के अवसर पर शारदामठ द्वारिका एवं ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड दोनों पीठों के शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज के शिविर में प्रति दिन होने वाली धर्म सभा में स्थानीय मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब ने अतिथि वक्ता के रूप में चार व्याख्यान दिए। वे शिविर के संयोजक ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के कार्यकारी शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज के आतिथ्य में 8 से 27 अप्रेल तक वहां रहे।

उन्होंने इस अवसर पर भारत व सम्पूर्ण जगत के कल्याण के लिए देश के वरिष्ठ संतों के नेतृत्व में भारत में हर युग में स्थापित रही सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन की प्रणाली का महत्व बताते हुए इसे वर्तमान प्रजातांत्रिक प्रणाली अंतर्गत ही पुनः लागू कर भारत को कुछ वर्षों में फिर से विश्वगुरु बना सकने वाली अपनी 14 सूत्रीय कार्य योजना पर प्रकाश डाला। साईं मसन्द साहिब ने इस अवसर पर मानव जीवन का मूल उद्देश्य और उसे प्राप्त करने के शास्त्र सम्मत उपाय आदि विषयों पर भी व्याख्यान किए।

उल्लेखनीय है कि 5 वर्ष पूर्व उज्जैन में सम्पन्न सिंहस्थ कुम्भ मेले में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज की अध्यक्षता में 16 मई 2016 को आयोजित संतों के विशाल सम्मेलन में साईं मसन्द साहिब जी का उनकी इस कार्य योजना के संदर्भ में अभिनन्दन करते हुए भारत के वरिष्ठ संतों द्वारा योजना पर अमल कराने का एक प्रस्ताव भी पारित हो चुका है। उक्त सम्मेलन में भारत के सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख महन्त, महामण्डलेश्वर, अन्य महन्त एवं दण्डीस्वामी करीब दस हजार संत शामिल रहे।